कुरान पाक और पैगम्बर मोहम्मद के मानवता के प्रति आंखें खोलने वाले कुछ संदेश
बहुलतावादी समाज में शांति और सह्स्तित्व के साथ जीवन यापन करने के बारे में कुरान ने विशेष तौर पर संदेश दिया है. इस संदेश में होमलैंड के प्रति बलिदान देने और हिंसा से बचने का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है.
जो समाज आपको सुरक्षा, स्वतंत्रता, विश्वास और समानता प्रदान करता है उस समाज के प्रति मुसलमानों की जिम्मेदारी है कि वे अलग पंथ को मानने वालों के प्रति सद्भावना, समानता और उनके अधिकारों का भी बराबरी का ख्याल रखें. साथ ही साथ मुसलमानों को अन्य धर्मवालम्बियों को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाने की कल्पना भी नहीं करनी चाहिए.
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अगर किसी मुसलमान के साथ अन्याय और दुर्व्यवहार की घटनाये होती हैं तो उन्हें देश के कानून और न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास करना चाहिए. कुरान का साफ संदेश है कि मुसलमानों को उत्तेजना भड़काने या नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. संदेश में साफ तौर पर जोर दिया गया है कि अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल समाज की तरक्की , मानवता की भलाई और शांतिपूर्ण माहौल के निर्माण में किया जाये.
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इस संबंध में कुरान का तीसरा संदेश है कि हर मुसलमान को अपने बड़ों की इज्जत करनी चाहिए. देश के कानून का पालन करते हुए व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. यह मुसलमानों की जिम्मेदारी है कि वह इस्लाम के संदेश को शांतिपूर्ण तरीके से फैलायें. ऐसा करते समय वे इस बात का खास ख्याल रखें कि उनके आचरण से किसी अन्य पंथ या समुदायों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे.
पैगम्बर मोहम्मद साहब ने भी स्पष्ट रूप से फरमाया है कि किसी अन्य की भावनाओं को किसी तरह से भी ठेस न पहुंचाया जाये क्योंकि किसी दूसरे को तकलीफ में डालना खुद अपने आपको तकलीफ में डालने के समान है. मोहम्मद साहब ने निर्दोषों की हत्या का कभी सपोर्ट नहीं किया. उन्होंने तो युद्धबंदियों को भी माफ करने की परम्परा शुरू की.
कुरान साफ तौर पर किसी भी तरह की हिंसा को गैरइस्लामिक करार दिया है और राष्ट्र की एकता और अखंडता पर जोर दिया है.