M N Karna स्मृति व्याख्यान में जस्टिस एस मुरलीधर ने लोकतंत्र पर खतरे पर जताई चिंता

समाजवादी चिंतक व लेखक प्रोफेसर एमएन कर्ण (MN Karna) की पहली पूण्यतिथि पर आयोजित प्रथम स्मृति व्य़ाख्यान के अवसर पर उड़िसा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस मुरली धर ( Justice S Murlidhar) ने न्यायाल, न्यायप्रणाली और सामाजिक आंदोलन विषय पर अपने शोधपरक व्याख्यान में भारत समेत वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरों पर दिल खोल कर बाते कीं.

पूर्व चीफ जस्टिस ने इस बात पर गंभीर चिंता जताई कि विश्व गुरू बनने की बात की जा रही है लेकिन दूसरी तरफ सच्चाई यह है कि हमारा लोकतंत्र ही विरोधाभासों में कैद है. उन्होंने कहा कि जब आज भी दलितों को अपनी शादी में खुशी मनाने से रोका जाये, सीवर में उनकी मौत होती रहे, हाशियो के लोग अपने अधिकारों से वंचित रहें तो यह चिंता की बात है.

Justice S Murlidhar ने अपने व्याख्यान में उदाहरणों से समझाया कि हैपीनेस इंडेक्स, मानव विकास सूचकांक आदि में इराक, लीबिया और पाकिसतान से भी पीछे है भारत. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए सामाजिक आंदोलनों का होना बहुत जरूरी है. उन्होंने याद दिलाया कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन और अधिकारों का संघर्ष हमारे जुडिसियल सिस्टम के लिेए काफी जरूरी था. उन्होंने कहा कि आज सूचना का अधिकार एक मजबूत संघर्ष का नतीजा है.

उन्होंने कहा कि अनेक मामलों में जनता किसी भी राजनीतिक दल से आगे निकल चुकी है. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चला व्यापक आंदोलन की यह उपलब्धि है कि सरकार को इस कानून को लागू करने में चार साल लगाना पड़ा.

उन्होंने कहा कि सामाजिक आंदोलन ने न्यायप्रणाली को सक्रिय किया और कई मामलों में हमारी न्यायप्रणाली ने सामाजिक आंदोलनों को प्रेरित किया.

इस व्य़ाख्यान में एएन सिन्हां संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ने कहा कि आज लोगों में कानूनी साक्षरता जरूरी है. उन्होंने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि जब आज हमारे लोगों को संविधान पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए तब लोगों को रामायण पढ़ने को कहा जा रहा है.

इस अवसर पर शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव ने संबोधित करते हुए कहा कि जब हमारे पास यह प्रस्ताव आया कि कर्ण साहब की याद में व्य़ाख्यान आयोजित करना है तो हमें बहुत खुशी हुई.

मंच का संचालन विद्यार्थी विकास ने किया. उन्होंने MN KARNA के जीवन का परिचय देते हुए सामाजिक आंदोलनों और शोध के क्षेत्र में उनके योगदान की चर्चा की.

इस अवसर पर एम एन कर्ण की पत्नी उर्मिला कर्ण, बेटी डॉ क्रांति भावना और पुत्र तरुण भारतीय, प्रत्यूष भारतीय, दामाद डॉ सुदीप भी मौजूद थे। क्रांति भावना ने वोट ऑफ थैंक्स पेश किया।

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