बिहार में एक और मॉब लिंचिंग, कोई गिरफ्तारी नहीं, इलाके में तनाव, दहशत
बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा में मॉब लिंचिंग की घटना उजागर हुई है. यह घटना ईद के दूसरे दिन हुई. मामले के आठ दिन गुजर जाने के बावजदू अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
इर्शादुल हक एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
खैरा थाना के चौकीटांड गांव के विकलांग रेयाज अंसारी को भीड़ ने पीट-पीट कर अर्धमरा कर दिया. उसके बाद परिजनों ने अंसारी को सदर अस्पताल में भर्ती किया लेकिन नाजुक हालत के कारण डाक्टरों ने उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया. पटना पहुंचने के बाद रेयाज अंसारी की मौत हो गयी.
इस घटना के बाद अल्पसंख्यकों में भारी दहशहत है. इस घटना की जानकारी देते हुए सिकंदरा के विधायक बंटी चौधरी ने नौकरशाही डॉट कॉम को बता है कि यह एक ह्रदयविदारक घटना थी. रेयाज विकलांग थे. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में दहशत है. उन्होंने कहा कि यह घटना बीते शनिवार की है. एक हफ्ता होने को है लेकिन पुलिस ने किसी भी आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है. उन्होंने पुलिस की कार्यपद्धति पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस किसी दबाव में है.
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चौकीटांड के लोग भय और दहशत में हैं. उनका भरोसा पुलिस परशासन से उठ चुका है. इस घटना के बाद स्थानी विधायक बंटी चौधरी एसपी, डीएम से भी तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं लेकिन पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि वह मामले पर गंभीर नहीं है.
वहीं इस घटना के बाद अल्पसंख्यक समाज के लोग बंटी चौधरी से आस लगाये हैं. चौधरी ने रेयाज अंसारी के इलाज के लिए अपनी तरफ से काफी कोशिश की. यहां तक कि वह पटना में भी उसके परिजनों के साथ रहे.
साम्प्रदायिक हिंसा का नया ट्रेंड
ध्यान रहे कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने रेयाज अंसारी को घेर लिया और उसकी बेरहमी से पिटाई की गयी जिसके कारण उसकी दूसरे दिन ही मौत हो गयी. आपको बता दें कि इसी तरह की एक घटना पिछले साल अक्टूबर में सीतामढ़ी में घटी थी. वहां सत्तर साल के वृद्ध जैनुल अंसारी को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया गया था और उसके बाद उनो आग के हवाले कर दिया गया था.
पिछले कुछ महीनों में बिहार में साम्प्रदायिक हिंसा का यह नया रूप है. जिसमें भीड़ किसी व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डालती है.
इस मामले में नौकरशाही डॉट कॉम ने खैरा थान के अध्यक्छ रविभूषण से बात की. उन्होंने कहा कि पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए छापामारी कर रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में पिक्कु यादव, टुनटुन यादव, सिकंदर यादव समेत पांच को नामजद अभियुक्त बनाया गया है.
पीड़ित परिवारों और स्थानीय लोगों की शिकायत है कि पुलिस जानबूझ कर आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है.