प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले एलेक्टोरल बॉन्ड से डरे, फिर संविधान और आरक्षण से डरे और अब अडानी-अंबानी प्रकरण से डर गए हैं। राहुल गांधी लगातार मोदी और अडानी के रिश्ते पर बोलते रहे हैं। चुनाव में भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। पब्लिक में मोदी सरकार के बारे में धारणा बन गई कि यह अडानी-अंबानी की सरकार है। इससे प्रकरण से प्रधानमंत्री मोदी इतना डर गए कि आज उन्होंने पहली बार एक चुनावी सभा में अडानी-अंबानी का नाम लिया और कहा कि कांग्रेस के शहजादे अब अडानी पर नहीं बोलते। वे बताएं कि कितना काला धन लिया, बोरा भर-भर के, टेंपो भर के कितना रुपया लिया कि अब बोलना बंद कर दिया। कांग्रेस बताए कि कितना माल लिया। प्रधानमंत्री के इस भाषण के बाद कांग्रेस ने पलट कर प्रधानमंत्री मोदी को घेर लिया।
कांग्रेस ने पूछा कि प्रधानमंत्री को मालूम है कि अडानी-अंबानी ने टेंपो भर के काला धन दिया है, तो कब ईडी, सीबीआई को भेज रहे हैं। सोशल मीडिया में हर वर्ग के लोग कह रहे हैं कि अगर अडानी ने काला धन दिया, तो अडानी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं किया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि 3 अप्रैल के बाद राहुल गांधी ने 103 बार अडानी तथा 30 बार अंबानी का नाम लिया है। कांग्रेस ने लोकसभा में राहुल गांधी का वह भाषण और फोटो शेयर किया है, जिसमें मोदी और अडानी आराम से बैठे हैं। संसद से राहुल के उस भाषण के बड़े अंश को निकाल दिया गया था।
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प्रधानमंत्री मोदी दरअसल यही साबित करना चाहते हैं कि अडाणी से सबके रिश्ते हैं। हर दल काला धन लेता है। ऐसा करके उनकी कोशिश है कि मोदी और अडानी के रिश्ते पर उठ रहे सवाल को कमजोर किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी जब एलोक्टोरल बॉन्ड पर फंस गए तो कहा था कि हमने चंदे को पारदर्शी बनाया। लोग जान सकते हैं कि किसने चंदा दिया। जबकि केंद्र सरकार ने कोर्ट में हर दलील पेश की कि एलोक्टोरल बॉन्ड की विस्तृत जानकारी बाहर नहीं आ। संविधान और आरक्षण खत्म करने के प्रकरण में फंसे, तो कहने लगे कि कांग्रेस दलितों का आरक्षण छीन कर मुसलमानों को दे देगी। अब अडानी के साथ अपने रिश्ते पर फंसे, तो कह रहे हैं कि अडानी ने कांग्रेस को टेंपो भर के रुपया दिया है। वे रोज-रोज मुद्दा बदल रहे हैं।