मोदी के 7 साल में लक्षद्वीप से बंगाल तक पूरा देश तबाह : राजद

मोदी सरकार के सात साल पूरा होने पर राजद ने कहा कि न सिर्फ आम आदमी का जीवन संकट में है, बल्कि लोकतंत्र, विविधता खतरे में है।

जब-जब मोदी सरकार की बात होगी, यह तस्वीर याद आएगी।

राजद ने नरेंद्र मोदी के सात साल के कार्यकाल को देश का काला हिस्सा करार दिया है। राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि आजाद भारत की यह पहली सरकार है जिसे अपने सात साल के शासनकाल में अपने नकारात्मक उपलब्धि के अलावा कहने के लिए और कुछ नहीं है।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि सात साल पहले जिन मुद्दों को आधार बनाकर भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हुई थी, सत्ता में आने के बाद वे सारे मुद्दे या तो जुमला बन कर रह गये अथवा उन मुद्दों की उपलब्धि नकारात्मक हो गई। वादा किया था प्रति वर्ष दो करोड़ नौजवानों को नौकरी दी जायेगी। नौकरी तो नहीं मिली करोड़ों लोगों की नौकरी छूट गई या बेरोजगार हो गये।

वादा किया था सभी के एकाउंट में 15-15 लाख रुपए आ जायेंगे वह तो नहीं ही आया जो पहले से जमा था, वह भी चला गया। कहा था सौ दिनों के अन्दर मुद्रास्फीति कम हो जायेगी और आज भारतीय करेंसी का मूल्य निम्नतम स्तर से भी नीचे चला गया। काला धन तो वापस नहीं आया पर काला धन वाले आराम से देश छोड़ कर चले गए।

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सत्ता में आने के पहले दावा किया गया था कि सरकार बनने पर किसानों की आय दोगुनी कर दी जायेगी। जबकि नया कृषि कानून बना कर किसानों को कॉरपोरेट के हवाले कर दिया गया। और अपनी मांगों को लेकर पिछले छह महीने से धरना दे रहे किसानों से बात करना भी गुनाह माना जा रहा है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि पिछले सात साल में इस सरकार द्वारा किये गए कार्यों को देखा जाए तो नोटबंदी, जीएसटी, सार्वजनिक क्षेत्र के लाभकारी प्रतिष्ठानों का निजीकरण, कॉरपोरेट घरानों के हितों को ध्यान में रख कर किसान बिरोधी ‘भूमि अधिग्रहण कानून ‘ किसान विरोधी कृषि कानून, सीएए, एनआरसी, बगैर किसी तैयारी के देश भर में लगाया गया लॉक डाउन, कोरोना के प्रति लापरवाही, वैक्सीन की अनुपलब्धता और वैक्सीनेशन में अदूरदर्शिता जैसे कुछ उदाहरण हैं जिससे देश को भारी क्षति उठानी पड़ी है और देश काफी पीछे चला गया है।

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सरकार की उपलब्धि की चर्चा की जाये हर क्षेत्रों में देश उस स्थिति में पहुंच गया है जहां से उबरना आसान नहीं होगा। आज पडोसी देशों के साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं रहे। संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता आज संदेह के घेरे में आ गये हैं। लोकतंत्र की गरिमा गिरती जा रही है। अभी ‘सी सर्वे ‘ के हवाले से कहा गया है कि प्रधानमंत्री जी की लोकप्रियता भी काफी गीर चुका है और अब उनके प्रशंसकों से कहीं ज्यादा उनके आलोचकों का प्रतिशत बढ़ गया है।

By Editor


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