मोदी के मंच पर ममता हुईं बेइज्जत, भाषण छोड़ा अधूरा
सुभाषचंद्र बोस जयंती कार्यक्रम में बोलने के लिए खड़ी हुईं ममता, तो जयश्रीराम के नारे लगे। ममता बोलीं, सरकारी कार्यक्रम की मर्यादा होनी चाहिए।
कुमार अनिल
बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच जबरदस्त मुकाबला चल रहा है। आज सुभाषचंद्र बोस जयंती समारोह भी इससे अछूता नहीं रहा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब बोलने के लिए खड़ी हुईं, तो मंच के सामने से जयश्रीराम के नारे लगे।
ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया कि इस अवसर पर उन्होंने कोलकाता में कार्यक्रम रखा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह सरकारी कार्यक्रम है। इसकी कुछ मर्यादा होती है। सरकारी कार्यक्रम और पार्टी कार्यक्रम में फर्क होता है। किसी को बुलाकर बेइज्जत करना ठीक नहीं। इसके बाद उन्होंने जय हिंद और जय बांग्ला बोलकर भाषण खत्म कर दिया। चूंकि यह कार्यक्रम विभिन्न टीवी चैनलों पर लाइव हो रहा था, इसलिए ममता के नाराज होने की खबर तुरत फैल गई।
इससे पहले आज सुबह ममता बनर्जी ने कोलकाता की सड़कों पर छह किमी लंबी पैदल यात्रा की। यात्रा की समाप्ति पर सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार की इस बात के लिए आलोचना की कि उसने आज तक नेताजी के जन्मदिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित नहीं किया है। उन्होंने केंद्र से आज को दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की।
बंगाल चुनाव में बांग्ला संस्कृति बड़ा मुद्दा बन गया है। तृणमूल खुद को बांग्ला संस्कृति का वाहक बताती है और भाजपा को बाहरी। उधर भाजपा बंगाल के सभी नायकों के जन्मदिन मना रही है। उसके नेता गांवों में लोगों के घर जाकर भोजन कर रहे हैं। भाजपा तृणमूल के कई विधायकों को अपने में शामिल करके भी दिखाना चाहती है कि उसके पास भी स्थानीय नेता है।
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आज जो कुछ हुआ, वह आगे भर चुनाव मुद्दा बना रहे, तो आश्चर्य नहीं। तृणमूल बताना चाहती है कि नेता जी के आजाद हिंद फौज में सभी धर्मों के लोग थे। सर्वधर्म समभाव को मानते थे। तृणमूल नेता जी की विरासत का झंडाबरदार खुद को साबित करना चाहेगी। उधर, भाजपा यह दिखाने की कोशिश करेगी कि ममता को जयश्रीराम के नारे से परहेज है। ममता भाजपा की कोशिश से अनभिज्ञ नहीं हैं, इसीलिए वे कई बार मंच से श्लोक पढ़कर भाजपा को चुनौती देती हैं। आज भी ममता ने सुबह के अपने कार्यक्रम में पंजाब-सिंधु-गुजरात-मराठा का उल्लेख करके खुद को बंगाली संस्कृति के साथ राष्ट्रीय एकता के लिए समर्पित बताने की कोशिश की।
दो मुस्लिम साथियों के साथ सिंगापुर के मंदिर गए नेताजी
आज दिन पर सोशल मीडिया पर नेताजी के नाम से कई हैशटैग ट्रेंड करते रहे। कबीर पर अकथ कहानी प्रेम की जैसी कई पुस्तकों के लेखक और जेएनयू के प्राध्यापक रहे पुरुषोत्तम अग्रवाल ने लिखा-नेताजी ने भेदभाव वाली प्रथा के कारण सिंगापुर के एक मंदिर का आमंत्रण ठुकरा दिया था। वे मंदिर में तभी गए, जब मंदिर में सबका प्रवेश मान्य किया गया। नेता जी मंदिर में अपने दो मुस्लिम साथियों के साथ शामिल हुए। (अमेरिका में प्राध्यापक रहे सुगाता बोस की नेता जी पर लिखी पुस्तक हिज मेजेस्टीज अपोनेंट से)