प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर दो दिनों तक चली बहस का जवाब दिया। यह भी पहली बार हुआ कि प्रधानमंत्री के पूरे भाषण के दौरान विपक्षी सांसद नारा लगाते रहे। सबसे ज्यादा मणिपुर जाओ के नारे लगे। मणिपुर को न्याय दो, तानाशाही नहीं चलेगी जैसे नारे भी लगते रहे। बीच-बीच में झूठ बोले कौवा काटे के नारे भी लगे। प्रधानमंत्री मोदी हेडफोन लगाए भाषण देते रहे, लेकिन उनमें वो जोश नहीं था, जो पिछले सदन में दिखा करता था। प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा परेशान दिख रहा था।
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में नया कुछ नहीं था। वे 50 वर्ष लगाए गए आपातकाल पर बोले। कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। सेना की उपेक्षा का आरोप लगाया।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रीया श्रीनेत ने कहा सदन में नरेंद्र मोदी बोल रहे हैं और पूरा सदन गूंज रहा है ‘मणिपुर को न्याय दो’ और ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारों से मान्यवर हेडफ़ोन पहने हुए उतरे चेहरे के साथ वही घिसी पिटी बोरिंग बातें बोल रहे हैं।
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कल जिस तरह राहुल गांधी ने भाजपा के हिंदुत्व पर हमला किया था, अन्य मुद्दे उठाए थे, तो लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री भी उसी लेवल पर विपक्ष खासकर कांग्रेस पर हमला करेंगे, लेकिन वे परेशान दिखे। उनके चेहरे पर विजेता विजयी भाव रहता था, वह आज गायब दिखा। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से ठीक पहले राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने नीट पेपरलीक पर सदन में विशेष चर्चा की मांग की। इस बार विपक्ष की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि पहले विपक्षी नेता के किसी बयान को दूसरा अर्थ निकाल कर भाजपा हमला करती थी। अब यह उल्टा पड़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को परजीवी कहा। इसके बाद विपक्षी सांसद कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने जदयू और टीडीपी को परजीवी कहा। स्थिति बदल गई है। पहले प्रधानमंत्री कुछ भी बोलते, तो देश ताली बजाता था, अब जनता का मिजाज बदल गया है।
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