पीएम नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार की मांग को धुएं में उड़ा दिया है. नीतीश ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग रख कर खुदको कोस रहे होंगे.
नौकरशाही ब्यूरो, पटना
पटना विश्विद्यालय शताब्दी समारोह के खुमार में बिहार डूबा था. उम्मीद थी कि इस गौरवशाली विश्वविद्यालय में आने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी कुछ बड़ी सौगात देंगे. छात्रों से ले कर पूर्वर्ती छात्रों तक की उम्मीद सातवें आसमान पर थी.
शनिवार को जब पीएम, सीएम और डिप्टी सीएम एक मंच पर थे तो नीतीश कुमार ने अपने भाषण के दौरान इस गौरवशाली विश्वाविद्यालय के इतिहास को बताया. और पीएम मोदी से गुजारिश की कि पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाये. उनकी इस मांग पर तालियों की बौछार हो गयी. इस खुशनुमा माहौल में जब पीएम मोदी ने माइक संभाला तो उन्हें भीड़ के मनोविज्ञान का पूरा एहसास था. पहले उन्होंने भीड़ की उम्मीदों के मुताबिक बिहार, यहां की मिट्टी, शिक्षा समेत एक एक चीज की तारीफों के पुल बांध दिये. यहां तक कि नीतीश कुमार की तारीफ में कशीदे भी गढ़े. उन्हें राज्य के विकास के लिए दिन रात मेहनत करने वाला कामयाब सीएम बताया.
उम्मीदों पर फेरा चतुराई से पानी
पर जब पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की बात आयी तो उन्हेंने बड़ी रणनीतिक चतुराई से नीतीश की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. मोदी ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसी मांगें अब बीते दिनों की बात हो चुकी है. हम नये दौर में हैं. हम चाहते हैं कि देश के विश्वविद्यालय दुनिया के टॉप विश्विद्यालयों में शुमार हों. इसके लिए हमने दस हजार करोड़ का फंड बनाया है. यह फंड देश के दस निजी और दस सरकारी विश्वविद्यालयों को दिये जायेंगे. पर इस फंड को लेने के लिए विश्विद्यालयों को अपनी क्षमता साबित करनी होगी. इस क्षमता की पहचान के लिए एक स्वतंत्र संस्था होगी.
मोदी के इस बयान का साफ मतलब है कि पटना विश्वविद्यालय को इस प्रतियोगिता में सफल होना होगा, तभी उसे फंड मिलेगा. मोदी के इस कथन से बिहार की उम्मीदों को लगे पंख जमीन पर आ गिरे हैं. लेकिन इस मामले में शायद सबसे ज्यादा मायूसी, खुद सीएम नीतीश कुमार को हुई होगी. उनका मन निश्चित ही मसोस कर रह गया होगा.
कभी मोदी के लिए चुनौती थे नीतीश
एक समय मोदी की आंखों में आखें डाल कर बात करने वाले नीतीश कुमार के लिए यह बड़े झटके से कम नहीं है. यह नीतीश ही हैं जिन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए मुहिम चलायी थी. 2015 के चुनाव प्रचार में मोदी ने, पीएम की हैसियत से कहा था कि बिहार को सवा लाख करोड़ का पैकेज देंगे. तीन साल बीत गये इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं आयी है. नीतीश कुमार अब विशेष राज्य का दर्जा, या विशेष पैकेज की बात करना तो दूर, इस पर कुछ कह भी नहीं पाते. इधर जब पटना के समारोह में उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालय की मांग रखी तो मोदी ने घुमा-फिरा कर उनकी बातों को धुएं में उड़ा दिया. समारोह में मौजूद लोगों ने इसे बखूबी समझ लिया. जाहिर है नीतीश कुमार भी इसे समझ गये.
इस समारोह के बाद बिहारियों और बिहार के सीएम की मायूसी के बाद अब यह प्रश्न उठेगा कि क्या अब भविष्य में किसी सार्वजनिक मंच से नीतीश कुमार मोदी से कोई मांग करने का साहस करेंगे?