मोदी सरकार ने आजादी पर दी ऐसी जानकारी, लोग पीट रहे माथा
पीआईबी ने आजादी के अमृत महोत्सव पर ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें बताईं कि लोग हंस नहीं रहे, माथा पीट रहे है। स्वामी विवोकानंद, महर्षि रमण के बारे में क्या कहा?
यह तो लोग जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस आरएसएस विचारधारा से आते हैं, उसकी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में कोई सकारात्मक हिस्सेदारी नहीं थी। लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव के सिलसिले में आज PIB India@PIB_India ने ऐसी जानकारी देश को दी, जिसे लोग मुर्खता की हद पार करना बता रहे हैं।
पीआईबी ने न्यू इंडिया समाचार के दो पन्ने ट्वीट किए हैं। पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी तस्वीर है, नीचे लिखा है अमृत वर्ष- स्वर्णिम युग की ओर। दूसरे पन्ने पर आजादी के संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा गया है कि आजादी का संघर्ष बहुत पहले शुरू हो गया था। बताया गया है कि स्वामी विवोकानंद और रमण महर्षि भक्ति आंदोलन के समय के थे। और उनकी प्रेरणा से 1857 का संघर्ष शुरू हुआ।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ट्वीट किया- स्वामी विवेकानंद का जन्म 1863 में हुआ। 1857 के छह साल बाद। रमण महर्षि का जन्म 1879 में हुआ-1857 के 22 वर्ष बाद। लेकिन @PIB_India के अनुसार दोनों 1857 विद्रोह के अगुआ थे। एंटायर हिस्ट्री की इस डिग्री पर ताली बजाइए।
कौन हैं भारत माता और कबीर पर हिंदी में अकथ कहानी प्रेम की जैसी जरूरी पुस्तकों के लेखक और भक्ति आंदोलन के विद्वान प्राध्यापक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा- मूर्खता के अदम्य आत्मविश्वास का नवीनतम प्रमाण स्वामी विवेकानंद और रमण महर्षि इस विज्ञापन के अनुसार भक्ति काल के “संत महंत” हैं ग़नीमत है कि इन विभूतियों को आजकल चल रहे भक्तिकाल में स्थापित नहीं कर दिया।
लेखक अशोक कुमार पांडेय ने तंज कसा- मेरा विरोध सिर्फ इस बात के लिए है कि इस सूची में यति, रामदेव तथा कालीचरण का नाम क्यों नहीं जोड़ा?
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