दो को PM आ रहे, तेजस्वी जैसी भीड़ न हुई तो क्या होगा अंजाम
दो को PM आ रहे, तेजस्वी जैसी भीड़ न हुई तो क्या होगा अंजाम। प्रधानमंत्री की सभा बेगूसराय और औरंगाबाद में। तेजस्वी ने तीन पैमाना तय कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो मार्च को बिहार आ रहे हैं। वे चुनावी शंखनाद करने आ रहे हैं। अभी से ये सवाल उठने लगा है कि क्या उनकी सभा में तेजस्वी यादव की सभा जैसा जोश, भीड़ और मुद्दे दिखेंगे। बिहार में उनकी सभा की तुलना तेजस्वी यादव की सभाओं से होगी और अगर तेजस्वी की सभाओं से कम भीड़ हुई, तो बिहार में और देश में क्या संदेश जाएगा।
बिहार में नीतीश कुमार के पाला बदलने तथा एनडीए सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी पहली बार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। पटना से प्रकाशित अखबारों में सोमवार को पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी वाला विज्ञापन भी छपा है। भाजपा के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है। मीडिया का साथ भी है। इसके बावजूद यह देखना होगा कि क्या प्रधानमंत्री की सभा में तेजस्वी यादव से ज्यादा भीड़ और जोश दिखता है। अगर नहीं दिखा, तो स्पष्ट है कि भाजपा के लिहाज से गलत संदेश जाएगा और इंडिया गठबंधन में नया जोश आएगा।
तेजस्वी यादव लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। उनकी सभाओं में भीड़ ने सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है। तेजस्वी यादव ने अपनी जनविश्वास यात्रा में तीन पैमाने तय कर दिए हैं। पहला उनकी सभाओं में जोश जबरदस्त दिख रहा है। दूसरा कि लाखों की संख्या में लोग तेजस्वी यादव को देखने सुनने जमा हो रहे हैं। रात के दो बजे तक लोग उनका इंतजार करते दिखे और तीसरा कि तेजस्वी यादव ने नौकरी, रोजगार और विकास को बिहार का मुद्दा बना दिया है। उनकी सभाओं में सबसे ज्यादा युवा दिख रहे हैं। भाजपा का राममंदिर का मुद्दा, हिंदू-मुस्लिम की राजनीति पिछड़ गई है और चर्चा के केंद्र में रोजगार, नौकरी आ गया है।
सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी तेजस्वी यादव के बनाए एजेंडे को पीछे कर पाएंगे। वे राममंदिर या कोई नया मुद्दा दे पाएंगे। अगर वे तेजस्वी यादव के बनाए नैरेटिव को बदलने में विफल रहे, तो भाजपा की परेशानी बढ़ सकती है। दस दिन पहले तक ऐसा कहने वाले लोग उत्साहित थे कि इंडिया गठबंधन बिखर गया है और आएगा तो मोदी है। लेकिन तेजस्वी की यात्रा ने माहौल बदल दिया है।
दो मार्च को प्रधानमंत्री मोदी को बिहार आना है और दूसरे दिन ही इंडिया गठबंधन की पटना में जन विश्वास महारैली होगी, जिसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी आएंगे। वामदलों के नेता दीपंकर भट्टाचार्य, सीताराम येचुरी और डी राजा भी रहेंगे। अगर प्रधानमंत्री मोदी की सभाएं तेजस्वी से कमजोर हुईं, तो पटना की महारैली में भी वह चर्चा का विषय बन जाएगा।
बिहार का युवा मतदाता नौकरी, रोजगार के नारे के साथ तेजस्वी यादव के साथ जाता हुआ दिख रहा है। बिहार में युवा मतदाता 60 प्रतिशत से ज्यादा हैं। प्रधानमंत्री मोदी क्या युवाओं को अपनी तरफ खींचने के लिए नया नैरेटिव दे पाएंगे। अगर नहीं, तो भाजपा की परेशानी बढ़नी तय है।
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