प्रधानमंत्री Narendra Modi गुरुवार को जमुई पहुंचे। उन्होंने भ्रष्टाचार, परिवारवाद और राममंदिर का मुद्दा उठाया। लेकिन उनका भाषण जमा नहीं। भ्रष्टाचार को लेकर वाशिंग मशीन की चर्चा ज्यादा हो रही है। विपक्ष उदाहरण के साथ बता रहा है कि एक से बढ़ कर एक भ्रष्टाचार के आरोपी को भाजपा ने रेड कार्पेट बिछा कर स्वागत किया। प्रधानमंत्री Modi ने राजद पर परिवारवाद का आरोप लगाया, जवाब में तेजस्वी यादव ने गिना दिया कि पहले चरण की जिन चार सीटों के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री Modi जमुई आए, उन चारों सीटों पर भाजपा और उनके सहयोगियों का परिवारवाद किसी से छिपा नहीं है। जमुई में लोजपा प्रमुख चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती चुनाव लड़ रहे हैं।
जमुई में प्रधानमंत्री Modi ने राजद पर राम का विरोधी होने का आरोप लगाया, लेकिन यह लोगों के गले नहीं उतर रहा। अयोध्या में राममंदिर बना, वह तो अच्छा है, लेकिन राम के नाम पर ही मतदाता भाजपा को वोट दे देंगे, ऐसा बिल्कुल नहीं लगता।
प्रधानमंत्री Modi अमूर्त बातें करते रहे। जनता के वास्तविक मुद्दे रोजगार, नौकरी, महंगाई, खेती पर खामोश ही रहे। इसीलिए उनके भाषण के बाद प्रदेश में कोई मुद्दा बनता नहीं दिख रहा है। लोगों को इंतजार था कि प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण में जरूर कुछ ऐसा बोलेंगे, जिससे बिहार की राजनीतिक हवा बदल जाएगी, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। उनके भाषण में कोई नयापन नहीं था। वे वही बातें करते रहे, जो पहले भी करते रहे हैं। इसीलिए उनके भाषण के बाद विपक्ष और खासकर राजद हमलावर हो गया है।
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा प्रधानमंत्री मोदी जी बिहार में अपनी पहली चुनावी सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सवालों का जबाब नहीं दे पाए। मोदी जी अपने घिसे-पिटे पुराने रेकॉर्ड को बजाकर चले गए तो नीतीश जी भी स्तुति गान के अलावा कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाये।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि 2014 और 2019 में उन्होंने बिहार और जमुई की जनता से क्या – क्या वादे किए थे और उसमें क्या-क्या दिए उसकी कोई चर्चा हीं नहीं की । विगत दस वर्षों में बिहार के लिए उनका क्या योगदान रहा इस पर भी कुछ नहीं बोले। पहले की तरह फिर कुछ सपने परोस कर चले गए। ऐसे भी कहीं से लग हीं नहीं रहा था कि देश का प्रधानमंत्री बोल रहे हैं। नीतीश जी की स्थिति तो और दयनीय दिखाई पड़ रही थी। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज का उल्लेख करने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाए। ज्यादा समय तो वे प्रधानमंत्री जी को यह विश्वास दिलाने में हीं लगे रहे कि वे अब पलटी नहीं मारेंगे। दोनों के भाषण में नैराश्य की भावना दिखाई पड़ रही थी। मानों उन्हें अपनी हार का एहसास हो गया है और वे केवल भाषण की औपचारिकता पूरी कर रहे हों।
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तेजस्वी यादव ने पांच सवाल पूछे। पूछा कि आपने जमुई को आज तक क्या दिया, जमुई के कितने युवाओं को केंद्र सरकार की नौकरी दी। जमुई में कौन सा बड़ा प्रोजेक्ट दिया। विपक्ष लगातार जनता के वास्तविक मुद्दे उठा रहा है।