मुहम्मद बख्त खां- जिन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजो के छक्के छुड़ा दिए.
मुहम्मद बख्त खां का जन्म उतरप्रदेश में अयोध्या के सुल्तानपुर में हुआ था | उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में नायकों तथा नयिकाओ को कुशल नेतृत्वा प्रदान करते हुए ईस्ट–इंडिया कम्पनी के सेना के खिलाफ कमांडर – इन – चीफ कि भूमिका निभाई थी|
उन्हें अंग्रेजो की सेना में 40 साल का अनुभव प्राप्त था | उन्होंने रूहेलखंड में खान बहादुर खान के नेतृत्व में किएगए विद्रोह में ब्रिटिश कमांडर को पराजित किया था | इसके बाद, उन्होंने बरेली में ईस्ट इंडिया कंपनी के खाजने पर कब्ज़ा किया और अपने सैनिको के साथ दिल्ली पहुँच गए |
इन्होने मुग़ल बादशाह, बहादुरशाह जफर द्वारा कमांडर इन चीफ के तौर पर नियुक्त किए जाने के बाद सेना को ब्यवस्थित किया | इन्होने वृहत प्रशासनिक परिषद की स्थापना करके कई गणतांत्रिक सुधार किए और विशेष संवैधानिक नीतिया बनाई|
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इन्होने यह महशुस किया कि स्वतंत्र नियमों पर किसी व्यक्तिगत मतभेद अथवा स्वार्थ का प्रभाव नहीं पड़े | इसलिए मुहम्मद बख्त खां ने अपने अभियानों में कुशल नेतृत्व का प्रदर्शन किया |
मुहम्मद बख्त खां ने अंग्रेजो से लोहा लिया
उन्होंने यह कहा था कि सिर्फ इतना ही पर्याप्त नहीं है कि अंग्रेजो को दिल्ली से बहार खदेड़ दिया जाए , बल्कि वे उन्हें भारत के राज्यों के आस-पास के इलाको से भी खदेड़ना चाहते थे | जब मुहम्मद बख्त खां इस अभियान में व्यस्त थे , तो राजपरिवार के कुछ ईष्यालु सदस्यों और स्वार्थी व्यापारियों ने बहादुर शाह जफ़र को गुमराह कर दिया |
उन्हें जैसे ही इस बात का पता चला इन्होंने स्वेक्छा से कमांडर इन चीफ का पद त्याग दिया| इसके बाद इन्होने अपनी स्वयं कि सेना के साथ अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ी | अंत में दिल्ली की हार लगभग तय हो गयी थी , तब बख्त खां ने बादशाह को अपने साथ लखनऊ चलने का प्रस्ताव भी दिया था |
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लेकिन बादशाह ने इनकी सलाह पर कोई जवाब नहीं दिया , क्यूंकि बादशाह उस समय अपने आस-पास के चापलूसों और धूर्त लोगो के प्रभाव में थे | तब बख्त खां ने दिल्ली छोड़ दी और अवध पहुँच गए | बेगम हजरत महल के साथ मिलकर ये अंग्रेजी सेना के खिलाफ लडे| किन्तु लखनऊ पर अंग्रेजो का कब्ज़ा हो जाने के बाद इन्हें बेगम हजरत महल के साथ नेपाल कि पहाडियों में निर्वासित कर दिया गया था |
मुहम्मद बख्त खां ने वही से अंग्रेजी सेनाओ के खिलाफ पुनः लड़ाई छेड़ने का प्रयास शुरू किए , लेकिन नेपाल के शासक का सहयोग नहीं मिलने के कारण अपने प्रयासों में सफल नहीं हो सके | मुहम्मद बख्त खां , जिन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह किया ,और भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सफलतापूर्वक कई लड़ाईयां लड़ी , 13 मई , 1859 को अंतिम बार लड़ते हुए -ही शहीद हुए |