बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है और इसी बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एस बयान से राजनीतिक गलियारे में सनसनी फैल गई है। भागवत के बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ माना जा रहा है। इधर जदयू समर्थकों का कहना है कि चुनाव आयोग के फैसले से उसके जनाधार के लोग भी वोट देने से वंचित हो जाएंगे। भले ही पार्टी नेतृत्व आयोग के फैसले के साथ है, लेकिन समर्थक खुल कर आशंका जता रहे हैं कि दलितों और अतिपिछड़ों का वोट ही सबसे ज्यादा कटेगा।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दो दिन पहले नागपुर में एक कार्यक्रम में कहा कि 75 वर्ष का होते ही नेताओं को सक्रिय राजनीति से अलग हो जाना चाहिए। उन्हें किसी पद पर रहने के बजाय रिटारमेंट ले लेना चाहिए। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक क्षेत्रों में हंगामा है। इस बयान को प्रधानमंत्री मोदी की उम्र से जोड़ कर देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की उम्र सिर्फ दो महीने बाद सितंबर में 75 वर्ष हो जाएगी। हालांकि भागवत भी 75 के हो जाएंगे।

याद रहे 2019 के चुनाव में 75 वर्ष के कई दिग्गज नेताओं को इसी आधार पर बेटिकट कर दिया गया था कि अब उन्हें सलाहकार की भूमिका में रहना चाहिए। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि विदेश से लौटते ही ये क्या हो गया। उनकी घर वापसी का रास्ता बनाया जा रहा है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भागवत के बयान से भाजपा को बिहार विधानसभा चुनाव में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया तो भाजपा को जवाब देना कठिन हो जाएगा। अभी से लोग पूछ रहे हैं कि पार्टी में सबके लिए एक ही पैमाना होगा या नेताओं को चेहरा देख कर अलग-अलग पैमाना होगा। लोग मान रहे हैं कि इस तरह की बयानबाजी बढ़ी तो भाजपा को और फिर एनडीए को बिहार में नुकसान हो सकता है।

 

By Editor