मुस्लिम छात्रा को कश्मीरी पंडित का जवाब सुन बोले-यही है इंडिया
मुस्लिम छात्रा ने कश्मीरी पंडित परिवार से सीधा पूछा कि मेरा नाम सुनकर आपके भीतर नफरत तो जगी होगी, तो ऐसा जवाब दिया कि लोग बोले- यही है इंडिया।
आज कल द कश्मीर फाइल्स की खूब चर्चा है। मुस्लिमों को हिंसक साबित करने की कोशिश हो रही है। कल गोडसे पर फिल्म आएगी और गांधी को विलेन साबित करने की कोशिश हो सकती है। ऐसे दौर में साएमा का वीडियो सबको जरूर देखना-सुनना चाहिए।
आरजे और पत्रकार साएमा से आपमें कई परिचित होंगे। उनका एक वीडियो वायरल है। वे तब एमफिल करने के दौरान एक कश्मीरी पंडित परिवार से मिलने गईं। उन्होंने सीधा सवाल किया कि मेरा मुस्लिम नाम सुनकर आपके भीतर नफरत तो जगी होगी? उनके इस सवाल के जवाब में घर की महिला ने साएमा को गले लगा लिया और कहा, नहीं बेटा, हमें बचानेवाले भी तो मुस्लिम पड़ोसी ही थे।
साएमा तब दिल्ली विवि की छात्रा थी। वे दिल्ली में विस्थापित कश्मीरी पंडितों पर रिसर्च कर रही थीं। उनके सुपरवाइजर मनोज कुमार झा थे। वह वीडियो में बताती हैं कि उन्हें तब डर भी लगता था। जब वे मेरा नाम पूछते तो मैं नाम बताती। इसके बाद कुछ देर के लिए खामोशी छा जाती। साएमा कहती हैं कि कश्मीरी पंडित न सिर्फ दिखने में खूबसूरत हैं, पर उनके दिल भी खूबसूरत हैं। उनकी कहानी सुनकर रूह कांप जाती थी। ऐसे ही एक परिवार से मिलने पर मैंने पूछा कि मेरा नाम सुनकर नफरत तो जगी होगी। फिर परिवार की बुजुर्ग महिला ने जो जवाब दिया, उसे सुनकर लोग कह रहे हैं कि यही इंडिया है।
साएमा अपने बोलने के खास अंदाज के कारण अपनी बात लोगों के दिलों तक पहुंचा देती हैं। देखिए और सुनिए-
"We have to spread love and end hatred.” Back in 2020, RJ Sayema shared her experience, meeting Kashmiri Pandits for her M.Phil dissertation. pic.twitter.com/yKHSD2qoMa
— Brut India (@BrutIndia) March 16, 2022
साएमा कहती हैं कि जो लोग धर्म के नाम पर नफरत फैला रहे हैं उन्हें कश्मीरी पंडितों की बात सुननी चाहिए। हमें खुद को समझाना है। प्यार तो बढ़ाते जाना है, नफरत को बिल्कुल खत्म कर देना है।
पत्रकार शाक्षी जोशी ने यह वीडियो शेयर करते हुए लिखा-‘मैंने कश्मीरी पंडित परिवार से पूछा मेरा नाम जानकर क्या एक पल के लिए आपको मुझसे नफ़रत हुई?तो एक दादी ने मुझे गले लगाकर कहा नहीं बेटा।तुमसे नफ़रत क्यों होगी?जब हमें रात के अंधेरे में निकलना पड़ा तो हमारे पड़ोसियों ने ही तो मदद की थी,वो भी तो मुसलमान थे।’
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