अपराध और झूठ की खेती करने वाले भले ही सुबूत मिटाते चलें पर उनके कदमों के निशान पीछे बने रहते हैं. “मुस्लिम कोरोना” वाली गोपनीय चिट्ठी लिखने वाले एसएबी कमांडेंट प्रियव्रत शर्मा ने भी अपने झूठ के कदमों के निशान छोड़े हैं इस रिपोर्ट में पढ़िये इस फर्जी चिट्ठी की सच्चाई.
जिन पाठकों ने पूर्वी चम्पारण के रमगढ़वा एसएसबी 47 बटालियन के कमांडेंट प्रियव्रत शर्मा की गोपनीय पत्र जिसे उन्होंने बेतिया डीएम को लिखा था, के बारे में जानकारी नहीं है उन्हें बताता चलूं कि 3 अप्रेल को प्रियव्रत ने लिखा था कि नेपाल से जालिम मुखिया नामक व्क्ति 40-50 ‘मुसलमान’ कोरोना संदिगद्धों को भारत भेज कर यहां कोरोना फैलाने की साजिश रच रहा है.
अब इस कथित गोपनीय पत्र जो पूरी दुनिया में उजागर हो चुकी है. उस पत्र के अंदर झूठ और पद के दुरोपयोग की परत दर परत सच्चाई हम आपको बताना चाहते हैं. ताकि पता चल सके कैसे मुसलमानों को खिलाफ नफरत की ज्वाला भड़का कर हिंदुओं को मुस्लिम विरोध के लिए तैयार किया जाये.
सबसे पहला तथ्य
प्रियव्रत शर्मा ने अपने पत्र में लिखा है कि मुस्लिम देशों से बरास्ता कठमांडो 200 भारतीये जिनमें 5-6 पाकिस्तानी शामिल हैं वे नेपाल स्थित चंदनबारा ( चंदनबसरा) और खैरवा के मदरसे-मस्जिदों में पनाह लिये हुए हैं.
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तथ्य यह है कि चंदन बारा ( जिसे चिट्ठी में चंदन बसरा लिखा गया है) और खैरवा नामक गांव भारत के बिहार के पूर्वी चम्पारण में हैं. इन गांवों का कोई वजूद नेपाल में नहीं है. इससे साफ है कि प्रियव्रत शर्मा ने अपने फर्जी पत्र में झूठ का सहारा लिया है. इस संबंध में मैने प्रियव्रत शर्मा को फोन किया. उन्होंने मेरा फोन काट दिया. इसके बाद मैंने उन्हें एसएमएस करके इन दोनों गांवों के नेपाल में नहीं होने संबंधी प्रश्न पूछा. उन्होंने जवाब नहीं दिया.
हालांकि प्रियव्रत शर्मा से मैंने पहले इंटर्व्यू किया है जिसमें उन्होंने अपनी सफाई दी है जिसका उल्लेख पिछली स्टोरी में मैंने किया है.
दूसरा तथ्य
47वीं बटालियन, एसएसबी रामगढ़वा पूर्वी चम्पारण के कमांडेंट प्रियव्रत शर्मा का पत्र 3 अप्रैल को लिखा गया. इस पत्र में 40-50 ‘मुसलमान’ कोरोना मरीजो को भारत में घुसाने की बात, विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से लिखाी गयी है. आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि जिस दिन पत्र लिखा गया उस दिन तक आधिकारिक तौर पर नेपाल में मात्र 9 कोरोना पोजिटिव थे. और ये सब डाक्टरों की निगरानी में थे.
तो सवाल यह है कि प्रियव्रत शर्मा झूठी और फर्जी बातों को अपने गोपनीय पत्र में क्यों लिखा? इस सवाल का जवाब मैं प्रियव्रत शर्मा से मांगना चाहता हूं. इसके लिए हमने फोन किया पर उन्होंने फोन काट दिया. और एसएमएस का भी जवाब नहीं दिया.
तीसरा तथ्य
नौकरशाही डॉट कॉम के सूत्रों ने इस पूरे प्रकरण में जो जानकारी इकट्ठी की है उस के अनुसार तथ्य यह है कि भाजपा के एक कद्दावर नेता के सम्पर्क में एसएसबी के कमांडेेंट प्रियव्रत शर्मा रहे हैं. वह नेता कई मामलों में प्रियव्रत शर्मा को ब्रीफ करते रहे हैं.
जिस विश्वसनीय सूत्र के हवाले से प्रियव्रत शर्मा ने खैरवा व चंदनबारा मदरसे को नेपाल का बताने की मानवीय भूल की है उन मदरसों के खिलाफ भाजपा के एक नेता बराबर अभियान चलाते रहे हैं.
चौथा तथ्य
ऊपर के तीन तथ्यों को जान लेने के बाद चौथा तथ्य यह है कि एसएसबी कमांडेंट प्रियव्रत शर्मा ने अरजेंट व कंफिडेंशियल यानी अतिगोपनीय पत्र बेतिया डीएम को लिखी तो यह कोपनीय पत्र न्यूज18 को क्यों दी गयी? इस पत्र को किसने दिया. सवाल यह है कि गृहमंत्रालय का गोपनीय पत्र अगर सुरक्षित नहीं है तो फिर देश की अखंडता, संप्रभुता जैसे गंभीर मामले से जुडी जानकारियां भी सुरक्षित नहीं है.
ऐसे में सवाल उठता है कि देश की संवेदनशील और गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक करने वाले क्या देश द्रोही नहीं हैं?
SSB 47 bn के कमांडेंट प्रियव्रत (Priyavrat Sharma) शर्मा से मैंने इन तमाम मुद्दों पर 10 अप्रैल को बात की. बातचीत का रिकार्ड नौकरशाही डॉट कॉम के पास सुरक्षित है) इस दौरान उन्होंने पहले तो कोना फैलाने में मुसलमान शब्द के इस्तेमाल को अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण बताया पर आगे सफाई दी कि उस चिट्ठी की जानकारी उनके मंत्रालय को है. अगर उन्हें कोई गलती लेगेगी तो वे हमसे पूछेंगे .
क्या बिहार के डीजीपी, मुख्यसचिव व गृहसचिव तथा केंद्रीय गृहसचिव को इस गंभीर मामले का संज्ञान नहीं लेना चाहिए?
आखिरी बात
एसएसबी के इस कमांडेंट ने देश में साम्प्रदायिक दंगा की ज्वाला भड़काने का ऐसा कुकर्म किया है जिसकी मिसाल विरले ही मिलती है. एसएसबी के 47वीं बटालियन, रमगढ़वा, पनटोका के कमांडेंट ने सशस्त्र बल के नैतिक व संवैधनिक कर्तव्य की धज्जी उड़ाते हुए एक पत्र पश्चिम चम्पराण के डीएम व एसपी को लिखा. पश्चिम चम्पारण के डीएम भी इस मामले में कठघरे में हैं. नीतीश कुमार को खुद इस मामले में सामने आना चाहिए और राज्य की जनता को बताना चाहिए कि ‘मुस्लिम कोरोना’ के घिनौने षड्यंत्र करने वालों की जांच हो. लेकिन दुर्भाग्य है कि अभी तक सरकार के स्तर पर इस मामले में कोई बयान नहीं दिया गया है.
इस पूरे मामले को वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता बारी आजमी ने काफी गंभीरता से लिया है. उन्होंने प्रियव्रत शर्मा के खिलाफ अपने वकील से उन्हें लीगल नोटिस भेजा है. इस नोटिस में प्रियवर्त शर्मा को आगाह किया गया है कि वह अपना पक्ष 48 घंटों के अंदर रखें. आजमी बारी ने नौकरशाही डाट काम से कहा है कि इस लड़ाई को वह अंतिम अंजाम तक पहुंचा के छोड़ेंगे.
परिणाम
इस खतरनाक पत्र के बाद पूरे बिहार और देश भर में मुसलमानों के खिलाफ जो नफरत की भावना भड़की है उसकी भरपाई नहीं हो सकती. इस पत्र का, और इस पत्र से पहले से ही जिस तरह से कोरना वायरस को मुसलमानों से जोड़ने का कुकर्म केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल करते रहे हैं, उसी का नतीजा है कि देश भर के अनेक हिस्सों में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की खबरें आयी हैं.