वक्फ संशोधन बिल का आगे बढ़ कर समर्थन करना जदयू को महंगा पड़ा है। नीतीश कुमार की सेकुलर छवि तार-तार हो गई है। कई मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। अभी और भी नेता इस्तीफा देंगे।

वक्फ संशोधन बिल के लोकसभा और राज्यसभा से पास होने तथा जदयू के समर्थन के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है। सबसे ज्यादा असर जदयू में देखने को मिल रहा है। पार्टी के मुस्लिम नेता हताश हैं। वे कह रहे हैं कि अब हम मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहे। कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है, जिन्होंने नहीं दिया है, वे अन्य दलों खासकर राजद और कांग्रेस के संपर्क में हैं और कभी भी पार्टी से त्यागपत्र दे सकते हैं।

जदयू से जिन नेताओं ने इस्तीफा दिया है उनमें मो. कासिम अंसारी, नदीम अख्तर, नवाज मलिक, एम राजू नैयर, तबरेज सिद्दीकी शामिल हैं। खबरों के मुताबिक छह से ज्यादा नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। कुछ विधायक और एमएलसी भी पार्टी से नाराज हैं। उन्होंने नीतीश कुमार से मिलने की कोशिश की, लेकिन मिल नहीं पाए। जदयू के एमएलसी गुलाम गौस पहले ही लालू प्रसाद से मिल चुके हैं। उनके बारे में भी कहा जा रहा है कि वे कभी भी नीतीश कुमार की पार्टी से नाता तोड़ सकते हैं।

नवाज मलिक जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के सचिव थे। वहीं तबरेज सिद्दीकी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महासचिव थे। कासिम अंसारी चंपारण के प्रमुख मुस्लिम नेताओं में हैं, जिन्होंने जदयू से इस्तीफा दिया। इसके अलावा सोशल मीडिया पर कई लोगों के इस्तीफे की खबर है।

इधर जदयू नेतृत्व की तरफ से स्थिति को संभालने की कोई कोशिश नहीं हो रही है, बल्कि कहा जा रहा है कि जिसको जाना है, जाए। उनके जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि जानकार बता रहे हैं कि चुनाव में जदयू को भारी नुकसान हो सकता है। हर विधानसभा क्षेत्र में ही तान-चार हजार वोटों का नुकसान होगा। ये वोट विरोधी को पड़ेंगे, तो अंतर दो गुना हो जाएगा।

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