मुस्लिम मोर्चा ने कहा-केंद्र सरकार कराए जातीय जनगणना
यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा ने आज दोटूक शब्दों में कहा कि अगर सचमुच केंद्र सरकार पिछड़ों का भला करना चाहती है, तो वह जातीय जनगणना कराए।
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पिछड़ों का वर्गीकरण करने के लिए केन्द्र की मोदी सरकार ने जो रोहिणी आयोग का गठन किया है, इससे पिछड़े समाज को तब तक कोई लाभ नहीं मिलेगा, जब तक जातीय आधार पर जनगणना और आरक्षण कोटे को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा।
उक्त बातें युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमाल अशरफ राईन ने आज एक प्रेस बयान जारी कर कहीं। अशरफ ने कहा कि केन्द्र सरकार पिछड़ों के प्रति ईमानदार है और उन्हें कुछ देना चाहती है तो बिहार विधानसभा व विधान परिषद से दो-दो बार पारित किए गए जातीय आधार पर जनगणना करने की अनुशंसा को स्वीकार करे। केंद्र सरकार जनगणना अधिनियम में इसे शामिल करे और आरक्षण कोटे को बढ़ाने के लिए विधेयक लाए।
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यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा ने कहा कि निजी क्षेत्रों एवं न्यायपालिकाओं में भी पिछड़ों को आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। अशरफ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उस मांग का स्वागत किया है कि बिहार की तरह केन्द्र में भी कर्पूरी ठाकुर के फार्मूले को लागू किया जाए। संगठन ने राज्यसभा में रामनाथ ठाकुर को जनता दल यूनाइटेड के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने का भी स्वागत किया है।
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उन्होंने कहा कि कांग्रेस जबसे सत्ता में रही उसका यही काम रहा कि आयोग बनाते रहो और उसकी रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालते रहो। उन्होंने कहा कि भाजपा हकीकत में पिछड़ों की हमदर्द है तो वह कांग्रेस की राह अख्तियार नहीं करेंगी और पिछड़ों के लिए यह सब करेगी एवं कांग्रेस द्वारा 1950 के राष्ट्रपति अध्यादेश द्वारा दलित मुसलमानों के छीने गये अनुसूचित जाति आरक्षण को भी देने का काम करेगी।
अशरफ ने कहा कि केवल इसी तरह पिछड़ों को शिक्षा, रोजगार और समाज में समानता का अधिकार मिल सकता है। जातीय जनगणना से ही पता चलेगा कि किस जाति की कितनी संख्या है और उसे विकसित-खुशहाल करने के लिए किस तरह की योजना बननी चाहिए।