TV Debate में आपने ऐसे कथित उलेमा को देखा होगा जो सरे आम स्क्रीन पर जलील होते हैं और शो खत्म होने के बाद चंद पैसों के चेक पाकिट में लिए वापस घर लौट आते हैं.
‘न्यूज चैनल जो भी करते हैं, जब भी करते हैं बस एक नेता के लिए करते हैं जिनका नाम है नरेंद्र मोदी’
मैं उन्हें आलिम नहीं कह सकती। दानिश्वर नहीं कह सकती। क़ौम का ठेकेदार भी नहीं कह सकती। मैं उन लगों का नाम भी नहीं ले सकती। मैं एक बार टी वी चैनल के तमाम गुनहगार ऐंकरों को माफ़ कर सकती हूँ , लेकिन इन्हें माफ़ नहीं कर सकती। यह हत्यारे हैं। ये लोग हमारे समाज में घृणा फैला रहे हैं। ये लोग पांच हज़ार क्या पांच सौ रुपए में बिक सकते हैं।
ये दौलत के लिए दींन ईमान सब बेच सकते हैं। दींन ईमान को बेचना भी माफ़ किया जा सकता है लेकिन देश में घृणा फैलाने के जघन्य अपराध को माफ़ नहीं किया जा सकता।
कुछ हत्यारे हमारे सामने घूम रहे हैं। इनके नाम म्मुसलमानों जैसे हैं। एक ट्रेंड यह भी आरम्भ हो कि यह लोग अपना नाम तब्दील करें। फिर भी इनलोगों को इनकी मर्ज़ी पर नहीं छोड़ा जा सकता। यह आतंकी मुस्लिम नामों से नफरत के जो पैग़ामात आम हिन्दुस्तानी को देना चाहते हैं , वह क़बूल नहीं।
मेरे लिए यह सोचना कठिन है कि खुद को मुसलमान कहने वाले , नमाज़ रोज़ा रखने वाले इस हद तक नीचता पर कैसे उतर सकते हैं. क्या इस बात से यह लोग परिचित नहीं कि पिछले तीन वर्षों से लगातार इन लोगों को चेतावनी दी जा रही है। उलमा ने भी इन्हें डिबेट में जाने से मना किया। रवीश कुमार ने भी इनका मज़ाक़ उड़ाया। अब अभिसार ने साफ़ तौर पर घोषणा की , कि यह लोग मुसलामानों को बदनाम कर रहे हैं। एक बहुत मामूली सा प्रश्न है , यह हक़ इन लोगों को किस ने दिया कि देश के समस्त मुसलमानों का घिनौना प्रतिनिधित्व करें ?
मैं ने कई ऐसे भी वीडिओज़ देखे हैं , जहां ऐंकर इन्हें बुरी तरह डांट रहा है और यह सर झुकाये बैठे हैं। फिल्म मेकर होने की हैसियत से और मीडिया को समझने की हैसियत से मैं जानती हूँ कि इन्हें ऐसा करने को कहा जाता है और पैसे भी इसी बात के मिलते हैं।
इन लोगों ने देश के समस्त मुसलामानों को शर्मसार किया है। अभी किसी ने मुझे एक पोस्ट भेजी है। वह पोस्ट आप से शेयर कर रही हूँ। वो दौर इंदिरा गांधी का था जब मुस्लिम नरसंहार हुआ था। अरब देश को जब इस बात की खबर हुई तो सख्त रवैया अपनाते हुए भारत को तेल देने से इनकार कर दिया.इंदिरा गांधी ने मौलवियों का एक डेलिगेशन अरब भेजा। ये कहकर कि सऊदी प्रिंस को कॉन्फिडेंस में ले और उन्हें बताएं कि भारत में सब सामान्य है।
जब सऊदी को इत्मीनान हुआ तो फिर से तेल भेजना शुरु किया गया.आज भी मुस्लिमों का नरसंहार हो रहा है, मुसलामानों का आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है। मोब लिंचिंग हो रही है। मुसलामानों की हत्याएं बढ़ गयी हैं। अरब देश ने सकारात्मक आवाज़ें उठायी हैं। इनका प्रभाव देश पर पड़ेगा। प्रश्न है कि इंदिरा के समय जो आलिमों की बिरादरी थी , क्या वह यही बिरादरी थी ?
क्या उस वक़्त यही सरकार थी। नरसंहार के बावजूद उस समय तक लोकतंत्र जीवित था। उलमा और मौलवी किसी हद तक अच्छी भूमिका में थे। अब इन शैतानों का राज है जो मुसलामानों की वेश भूषा में लोकतंत्र और देश के भाईचारे की हत्या कर रहे हैं। साथ ही मुसलमान क़ौम को समूचे विश्व में रुस्वा कर रहे हैं। इनका बायकाट करें।