मुट्ठी भर लोग ही न्याय के लिए कोर्ट तक पहुंच पाते हैं : CJI

मुट्ठी भर लोग ही न्याय के लिए कोर्ट तक पहुंच पाते हैं : CJI

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश में मुट्ठीभर लोग ही न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा पाते हैं, शेष बड़ी आबादी न्याय से वंचित। वजह भी बताई।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने शनिवार को कहा कि देश में बहुत थोड़े लोग न्याय के लिए अदालतों तक पहुंच पाते हैं। विशाल आबादी कोर्ट तक पहुंच पाने में असमर्थ है, जिससे वे न्याय से वंचित होते हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने इसकी वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि भारत की कड़वी सच्चाई यह है कि आर्थिक-सामाजिक असमानता के कारण लोकतांत्रिक लक्ष्य सभी को न्याय मिले प्रभावित हो रहा है।

देश के सबसे बड़े न्यायाधीश ने कहा कि न तो आम जन में न्याय पाने के प्रति जागरूकता है और न ही उनके पास ऐसा करने के लिए साधन है। अखिल भारतीय जिला न्यायिक सेवा के प्राधिकारों को संबोधित करते हुए जस्टिस रमना ने कहा- आधुनिक भारत की नींव समाज से असमानता दूर करने के उद्देश्य से रखी गई थी। लोकतंत्र का अर्थ है कि सबको भागीदारी का अवसर मिले। यह भागीदारी का अवसर बिना आम लोगों की आर्थिक-सामाजिक उन्नति के संभव नहीं है। और आम जन की उन्नति का माध्यम न्याय है।

जब देश के सबसे बड़े न्यायाधीश अपनी बात रख रहे थे, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू अतिथि के बतौर मंच पर उपस्थित थे। इनके अलावा मंच पर जस्टिस यू. यू. ललित तथा जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ भी बैठे थे।

द हिंदू की खबर के मुताबिक चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि जिला अदालतों को मजबूत करना समय की मांग है। ये वो अदालतें हैं, जहां आम लोग सबसे पहले न्याय के लिए पहुंचते हैं।

जस्टिस रमना से पहले यह सवाल भी उठता रहा है कि निचली अदालतों में बेल नहीं मिलता है, जबकि बेल खास मामलों को छोड़कर अमूमन देने की बात कही जाती है। जिला अदलतों तक लोग किसी तरह पहुंच भी जाते हैं, पर हाईकोर्ट तक बहुत कम लोग पहुंच पाते हैं और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचना तो सचमुच उंगलियों पर गिने जाने भर लोग ही सक्षम हैं।

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