मुजफ्फरपुर बालिकागृह में 41 बच्चियों के साथ महीनों-महीनों तक हुए रेप की इस दरिंदगी की कहानी पढ़ के आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे. और कहने से नहीं रुकेंगे कि हमें बिहार की ऐसी व्यवस्था पर शर्म है. थूक ऐसी सरकारी मशीनरी पर
संजय वर्मा का लेख
मुज़्ज़फरपुर कांड में एक अखबार के मालिक व एनजीओ संचालिका एक महिला समेत 10 पर प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेज देने मात्र से शासन प्रशासन पुलिस की कर्तव्यों की इतिश्री नहीं हो जाएगी आखिर सुधार गृह की 8 से 18 साल की फूल जैसी 41 बच्चियों को रौंदता कौन था.
पिछले दिनों पटना मेडिकल कालेज में इन बच्चियों की मेडिकल जांच हुई थी. पीएमसीएच के अधीक्ष ने इस बात की पुष्टि की थी कि जांच में शामिल कुल 29 बच्चियों के रेप की पुष्टि हुई है. रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि लगभग सभी बच्चियों के साथ बारम्बार बलात्कार हुआ है. सबसे जघन्य बात तो यह है कि बलात्कार की शिकार इन बच्चियों की उम्र 7 वर्ष से 17 वर्ष के बीच है.पीएमसीएच में मेडिकल जांच के दौरान यह बात भी सामने आयी है कि 29 में से कई ऐसी बच्चियां हैं, जिनकी हालत काफी दयनीय है। दुष्कर्म से पहले भी उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। कई बच्चियां मूकबाधिर थी। नाबालिग लड़कियों के साथ कई बार दुष्कर्म किया गया। डॉक्टरों के अनुसार, सात साल की जिस नाबालिक के साथ कुकृत्य किया गया, उसे बोलने में भी तकलीफ हो रही थी।
लंबे समय तक चले घिनौने खेल को किन रसूखदार सफेदपोशों का संरक्षण प्राप्त था. उन परियों को किन हवस के दरिंदो के हवाले कर रोज बलात्कार करवाया जाता था उन बच्चियों के स्टेटमेंट के आधार पर उन भेड़ियों की शिनाख्त कर क्यो नही पकड़ा जा रहा? एनजीओ संचालक ( एक पुरुष व एक महिला) से पुलिस के आला अधिकारी रिमांड पर लेकर उन चेहरों को क्यो नही उजागर कर रही जो बच्चियों के साथ बलात्कार लगातार कर रहे थे? उस बड़े हाथ तक पहुंचने के लिये पुलिस क्यो नही कोशिश कर रही क्या यह संभव है कि बालिका सुधार गृह की 41 लड़कियों के साथ कुछ एक दरिंदे रोज खेलते थे।
संभव है कि इन लड़कियों का इस्तेमाल निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिये अधिकारियों राजनेताओं सफेदपोशों बड़े रसूखदारों के विस्तर गर्म करने के लिये उनके अड्डो पर पहुंचाकर रोज किया जाता रहा हो पूरे देश मे इस शर्मनाक लोमहर्षक दरिंदगी की घटना ने बिहार का सिर शर्म से झुक गया है. सभी का दिल दहल गया है. मन झकझोर दिया सारे दलीलों के बाबजूद सुशासन तार तार हुआ है. उन पीड़ितों को तबतक न्याय नही मिलेगा जबतक उन बलात्कारियों और सफेदपोशों को बेनकाब कर गिरफ्तार कर लिया नहीं जाता. महज 10 पर प्राथमिकी दर्ज करने का मतलब यह कि मामले को पूरी तरह से रफा दफा किया जाना है.
जिले के डीएम एसपी,थानेदार विधायक सांसद जनप्रतिधि या अन्य जांच एजेंसी क्या कर रही थी जब उनके नाक के नीचे यह घिनौना और शर्मनाक कृत्य लंबे अरसे से चल रहा था क्या ये सोए थे या उनको नज़राना मिल जाता था आखिर इनकी खामोशी का राज का कारण यह तो नही की बड़े रसूखदार खद्दर खाकीधारी माननीय लोग संलिप्त थे एक अकेला ब्रजेश ठाकुर पत्ता हो सकता था तुरुप कोई और ।
वैसे सरकार पुलिस प्रशासन को मामले की गंभीरता संवेदनशीलता को संजीदगी से लेना होगा बो ईमानदार तभी सावित होंगे जब 41 लड़कियों के बलात्कारियों को दबोच कर स्पीडी ट्रायल करा फांसी की सजा तक दिलवा देंगे