पिछले हफ्ते पटना मेडिकल कॉलेज के सुप्रिंटेंडेंट ने जब इस बात की पुष्टि कर दी कि मुजफ्फरपुर के बालिका गृह की 29 बच्चियों के साथ महिनों से रिपिटेडली रेप होता रहा. तो खलबली मच गयी. लेकिन सरकार कुछ बोलने से कतरा रही है.
बताया जा रहा है कि यहां की कुल चालीस बच्चियों के साथ महीनों -महीनों से नियमित रूप से रेप होता रहा. इन बच्चियों की उम्र 7 से 18 के बीच है. इन में मुक वधिर बच्चियां भी शामिल हैं. बताया तो यह जा रहा है कि यहां कि चालीस बच्चियों के साथ रेप जैसा कुकर्म होता रहा. एक बच्ची ने अदालत को यहां तक बताया है कि रेप के बाद एक लड़की की हत्या करके उसे इसी परिसर में दफ्न कर दिया गया.
नियमित रूप से रेप की ऐसी घिनावनी मिसाल शायद ही इससे पहले देखने-सुनने को मिली हो. जिसमें सरकारी व्यवस्था को संलिप्त हो. वही व्यवस्था जिसके जिम्मे इन लाचार बच्चियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी. जब हमारी बेटियां हमारी सिस्टम की चक्की में ही रौंदी जा रही हों तो उन बच्चियों की कौन गारंटी ले सकता है जो आये दिन घर से बाहर रोजगार, पढ़ाई या दूसरे जरूरी कामों के लिए निकलती हैं.
इस कुकर्म के सार्वजनिक होने के बाद ब्रजेश ठाकुर का जिक्र बड़ी जोर शोर से हो रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रात:कमल अखबार के प्रति को ट्विटर पर शेयर किया है. इसके प्रबंधक व मालिक हैं ब्रजेश. इस मामले के मास्टर माइंड बताये जा रहे हैं. इस मामले में वह गिरफ्तार किये जा चुके हैं. वरिष्ठ पत्रकार सिटु तिवारी ने इस अखबार और इसके मालिक के बारे में फेसबुक पर अपनी बात शेयर की है. वह लिखती हैं-
बिहार के मुजफ्फरपुर की साहू रोड मे मजमा लगा हुआ है। रिपोर्टिंग करने आये हर
‘परदेसी’ पत्रकार को फ़ोन पर बताया जाता है — “प्रातः कमल का बोर्ड देखकर उसी गली मे चले आओ।”
प्रातः कमल, 12 पन्ने का उत्तर बिहार का एक दैनिक अखबार है जो साल 1982 से प्रकाशित हो रहा है।दिलचस्प है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के पिता राधा मोहन ठाकुर ने ये अखबार शुरू किया था। फिलहाल अखबार के संपादक राहुल आनंद है जो ब्रजेश ठाकुर के बेटे है। अखबार से जुड़े लोग बताते है कि 63,000 प्रति छपने वाले इस अखबार मे मैनेजर ब्रजेश ठाकुर है।पत्रकार साथी ये भी बताते है कि पटना के सूचना जनसंपर्क विभाग के साथ साथ प्रभावशाली जगहों पर ये बहुत आसानी से मिल जाते थे.
उधर तेजस्वी यादव यहां तक आरोप लगा रहे हैं कि इस व्यक्ति की पहुंच नीतीश कुमार व सुशील मोदी तक है. सुशील मोदी उसे अपने चेम्बर में बिठा कर मिठाई खिलाते रहे हैं. वह जदयू के चुनाव प्रचार का हिस्सा भी रहा है.
अब सवाल यह है कि इस मामले में अब तक जो गिरफ्तारियां हुई हैं उनमें ब्रजेश के अलावा कोई भी रसूखदार अभी तक पकड़ा नहीं गया है. कई अफसरों का इस मामले में संलिप्त होने की बात सामने आ रही है.
पर सवाल है कि क्या हमारी इन बच्चियों को इंसाफ मिल पायेगा?