नालंदा में सड़क सुरक्षा सिर्फ दोपहिया वाहनों की चेकिंग में सिमटा
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह 18 जनवरी से 17 फरवरी तक मनाया जा रहा है। लेकिन पूरा अभियान दोपहिया वाहनों से जुर्माना वसूलने तक सिमट गया है।
संजय कुमार
सुरक्षित सड़क यात्रा एवं दुर्घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से आम लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए सड़क सुरक्षा माह मनाया जा रहा है। परंतु, नालंदा में यह जुर्माना वसूलने की योजना बन कर रह गया है।
इस माह के दौरान सरकारी मशिनरियों द्वारा जिले के भिन्न-भिन्न मुख्य स्थानों पर दोपहिया वाहन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। लोगों में जागरूकता हेतु रैलियां व विभिन्न कार्यक्रम किए जा रहा हैं। इस दौरान वाहन चेकिंग अभियान चलाकर मोटी रकम सरकारी खजाने में जमा की जा रही है।
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वहीं सुरक्षित यात्रा हेतु कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। चाहे राष्ट्रीय राजमार्ग हो या राजमार्ग। सभी स्थानों पर सड़क किनारे बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिसे भरने का प्रयास सरकार नहीं कर रही। राष्ट्रीय उच्च पथ के दोनों ओर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। बड़े वाहन हो या दुपहिया वाहन, साइड देने के चक्कर में चालक संतुलन खो देता है। वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
सबसे ज्यादा फजीहत दुपहिया वाहन चालकों को हो रही है। बड़े वाहनों को साइड देने के लिए जैसे ही सड़क से नीचे उतरते हैं, अपना संतुलन खोकर हाथ-पैर तोङ़वा लेते हैं। जबकि केंद्र एवं राज्य सरकार का सड़क निर्माण योजना में स्पष्ट निर्देश है कि पीच सड़क के दोनों ओर की भूमि समतल होने चाहिए। ताकि कोई वाहन को साइड देने हेतु कच्ची सड़क पर उतर सके। परंतु कभी-कभी तो ऐसा भी देखने को मिलता है कि कोई बड़े वाहन को अपने पीछे वाले वाहन को साइड देने के लिए जैसे ही किनारे होते हैं, गड्ढे के कारण संतुलन खो कर, वाहन दुर्घटनाग्रस्त कर बैठते हैं।
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बिहारशरीफ बाजार समिति के पास अंबेडकर चौक के पेट्रोल पंप के किनारे सड़क पर, मुख्य सड़क के पीच के बाद लगभग 6 इंच से अधिक गड्ढा है। कोई भी बस, स्टैंड से चलकर राजगीर -नवादा रोड की ओर मुड़ती है तो बस बिल्कुल टेढ़ी हो जाती हैं। गनीमत यही है कि बस की स्पीड बहुत कम रहती है। वरना तेजी से आने वाले वाहन का दुर्घटना होना निश्चित है ।यह मात्र बानगी है।
बख्तियारपुर से लेकर रजौली तक मार्ग के दोनों ओर शायद ही कोई ऐसा स्थान होगा, जहां की सड़क के किनारे 6 इंच से अधिक गड्ढा ना हो। इसी प्रकार बिहारशरीफ से कोलकाता जाने वाले बसों के छतों पर डेढ़ फीट से ऊंची समान लाया जाता है। जिसमें हल्के से लेकर वजनदार समान होते हैं। इस कारण आए दिन दुर्घटनाएं होते रहती है ।यहां भी यात्रियों के जान को जोखिम में डालकर यात्रा करवाया जाता है। सरकार के द्वारा आज तक इस पर रोक नहीं लगाया गया हैं।
प्राइवेट बसों व छोटे चार पहिया वाहनों के छतों पर यात्रियों को बैठाकर सफर कराया जा रहा है। इस पर भी कभी धरपकड़ नहीं की जाती है। शहरों की सड़कों पर कम स्पीड में वाहन चलाना है। परंतु, सुबह-सुबह ट्रैक्टर चालकों द्वारा तेज गति से वाहन चलाते देखे जा सकते हैं। परंतु आज तक तेज गति से वाहन चलाने के जुर्म में एक भी ट्रैक्टर चालकों को पकड़ा नहीं गया होगा।