नालंदा विवि का श्रेय लेने की कोशिश करने पर राजद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है। राजद ने बताया कि यह यूपीए सरकार की देन है। उसी ने एक्ट बनाया, उसी ने विवि के लिए धन का प्रवाधान किया। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को नालंदा विवि के नए भवन का उद्घाटन करने राजगीर पहुंचे थे।
राजद ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से बनाए जाने का विचार सबसे पहले में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने दिया था। समिट में इस के पुनः स्थापना के आईडिया को कई देशों ने एंडोर्स किया। में ही इसे बनाने के लिए बिहार विधान सभा से कानून पास किया गया। – में समिट में कई देशों ने निर्माण में सहयोग का वादा किया और इसमें भारत सरकार के विदेश मंत्रालय का अहम योगदान था।
में भारत की संसद ने – पास किया और यह यूनिवर्सिटी अस्तित्व में आया। बिहार सरकार ने यूनिवर्सिटी के कैंपस के लिए एकड़ ज़मीन दिया। जनवरी में मनमोहन सिंह की सरकार ने नए यूनिवर्सिटी के भवन निर्माण के लिए करोड़ और अन्य खर्चा के लिए के फंड को स्वीकृति दिया। यूनिवर्सिटी कई वर्षों से संचालित है।
आज जो प्रधानमंत्री फीता काटने आए हैं वह बिल्डिंग का फीता काटने आए हैं ना कि यूनिवर्सिटी की स्थापना करने का। उस बिल्डिंग का फीता जिस के लिए फंड भी पिछली सरकार दे कर गई थी। हाँ मोदी सरकार ने इसी फंड में कटौती ज़रूर किया है।
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राजद प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि जिस नालन्दा विश्वविद्यालय के नए भवन का वे लोकार्पण करने आए थे वह राजद के समर्थन वाली केन्द्र की यूपीए सरकार की देन है। यूपीए सरकार के समय हीं संसद द्वारा 2010 में पारित ‘नालन्दा विश्वविद्यालय विशेष अधिनियम’ के द्वारा इसकी स्थापना की गई है। पर प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में एक बार भी इसका उल्लेख नहीं किया। और न इस विश्वविद्यालय के लिए ही कोई विशेष पैकेज देने की बात कही। राजद प्रवक्ता ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री भी पता नहीं किस मजबूरी में प्रधानमंत्री के समक्ष पहले की तरह खुले मंच से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज और पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग अब नहीं करते हैं। जबकि अब तो नीतीश कुमार जी के समर्थन से ही नरेन्द्र मोदी जी पुनः प्रधानमंत्री बने हैं।