नंदीग्राम में क्या हुआ

आज प. बंगाल में दूसरे चरण का चुनाव संपन्न हो गया। सबसे बड़ा सवाल है नंदीग्राम में क्या हुआ? ममता जीतेंगी या सुवेंदु अधिकारी?

कुमार अनिल

प. बंगाल की नंदीग्राम सीट पर बंगाल ही नहीं पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। अगर ममता हार जाती हैं, तो भाजपा और खुलकर निजीकरण की राह पर देश को ले जाएगी। इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी ने खुलकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश की। उन्होंने ममता बनर्जी को बार-बार बेगम कहा। कहा कि बेगम जीत जाएंगी, तो बंगाल को मिनी पाकिस्तान बना देंगी। अगर ममता जीत जाएंगी, तो भाजपा के विरुद्ध खड़े होनेवाले लोगों की संख्या बढ़ेगी।

नंदीग्राम में पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डेरा डाल रखा था। इसे लेकर भी चर्चा है। भाजपा का दावा है कि उसने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम में ही बांध दिया। वे अपनी पार्टी की अकेली प्रचारक हैं और उनके यहां इतने दिनों तक घिर जाने से तृणमूल का प्रचार अन्य सीटों पर नहीं हुआ।

इसके विपरीत दूसरी समझ यह है कि ममता हमेशा चैलेंज स्वीकार करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने चैलेंज कबूल करके अपनी संघर्षशील छवि को मजबूत किया है। वे आज मतदान के दिन व्हिल चेयर पर बैठकर बूथों तक गईं। इससे वे यह संदेश देने में सफल हुईं कि वे हार मानने वाली नेता नहीं है।

नंदीग्राम में लगभग 30 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं। सुवेंदु अधिकारी को भरोसा है कि हिंदू गोलबंदी होने से 70 फीसदी वोट उन्हें मिलेगा। इसीलिए वे कह रहे हैं कि 50 हजार वोट से जीतेंगे।

इस बात में दो राय नहीं कि बार-बार ममता पर पाकिस्तान बना देने के आरोप और धार्मिक नारे लगाने से भाजपा अपने मकसद में एक हद तक कामयाब हुई है।

आज कोलकाता से प्रकाशित द टेलिग्राफ ने पहले पन्ने की लीड खबर बनाई है, जिसका शीर्षक है- मैं यहीं जनमा, यहीं बड़ा हुआ और अचानक आज पाकिस्तानी हो गया? टेलिग्राफ ने नंदीग्राम के लोगों से बातचीत के आधार पर लिखा है कि गांवों में हिंदू-मुस्लिम के बीच कुछ दूरी बढ़ी है।

सुवेंदु ने अपनी अंतिम सभा में कहा था कि ममता ने हर पंचायत में एक मिनी पाकिस्तान बना दिया है। टेलिग्राफ ने नंदीग्राम के एक दर्जी यासीन की बात को हेडिंग बनाया है। यासिन कहते हैं- मेरा जन्म यहीं हुआ, यहीं बड़ा हुआ और आज अचानक मैं पाकिस्तानी हो गया?

यासीन कहते हैं उसके 100 से ज्यादा दोस्त हिंदू हैं। इन्हीं के साथ बचपन बिताया। आज उनसे बात करने से हिचकता हूं। दिमाग में यह बात आती है कि पता नहीं कोई दोस्त उसे पाकिस्तानी समझता हो।

शेख सिराजुल कहते हैं कि हम हिंदुओं के सभी पूजा-पाठ में शामिल होते रहे हैं। प्रतिमा विसर्जन जुलूस हमारे मुहल्ले से गुजरता है। सभी मुस्लिम सहयोग करते हैं। हिंदू भी अजान के समय म्यूजिक को धीमा करते रहे हैं। यहां हम सब भाई की तरह रहते हैं, लेकिन पिछले तीन महीने में बहुत कुछ बदल गया है। टेलिग्राफ आगे लिखता है कि अब कुछ युवा मस्जिद से गुजरते हुए जयश्रीराम का नारा लगाते हैं।

उधर बीबीसी के पूर्व संवादददाता सुबीर भौमिक ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि नंदीग्राम में हिंदू-मुसलिम एकता सदियों पुरानी है। जब कांग्रेस ने 8 अगस्त, 1942 को ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया, तो 30 सितंबर को 10 हजार से ज्यादा लोगों ने नंदीग्राम पुसिल स्टेशन पर तिरंगा फहराने के लिए मार्च किया था। पुलिस ने गोली चलाई, जिसमें आठ स्वतंत्रतासेनानी शहीद हुए। इसमें शेख अलाउद्दीन भी थे, जो मार्च का नेतृत्व कर रहे थे।

घटना के बाद अंग्रेज पुलिस ने भयानक दमन किया। अजीम बख्श और शेख अब्दुल को गिरफ्तार किया गया और उन्हें मिदनापुर जेल में बंद कर दिया गया, जहां बाद में उनकी मौत हो गई। भौमिक कहते हैं कि धर्म के आधार पर राजनीति का कुछ असर तो हुआ है, पर पूरी तरह धार्मिक ध्रुवीकरण करने में भाजपा सफल नहीं हुई।

इस बीच ममता बनर्जी ने कहा कि वे नंदीग्राम से जीत रही हैं। उन्हें नंदीग्राम के चुनाव से ज्यादा भारत के लोकतंत्र की चिंता है।

By Editor


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