इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी उत्पीड़न कानून के तहत अपराध के आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद देश भर के दलितों में व्यापक आक्रोश फूट पड़ा था. इसको ले कर 20 अप्रैल को ऐतिहासिक बंद रखा गया. इस बंद के दौरान देश भर में 12 लोगों की जान गयी थी. इसके बाद सरकार ने एक अध्यादेश के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने की बात कही गयी थी लेकिन उस पर अमल नहीं किया जा रहा था. लेकिन इस बीच दलित संगठनों ने 9 अगस्त को, अंतरराष्ट्रीय मूल निवासी दिवस के अवसर पर देशव्यापी बंद रखने का फैसला कर लिया था. इस प्रस्ताित बंद के पहले ही मोदी सरकार ने कैबिनेट की मीटिंग बुलाई और इसमें अनुसूचित जाति-जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) संशोधित कानून-2018’ के मसौदे को मंजूरी दे दी गई.
ध्यान रहे कि दलित संगठनों के साथ एनडीए में शामिल रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी ने भी धमकी दी थी कि वह 9 अगस्त के पहले मामले का हल नहीं निकाला गया तो वह भी आंदोलन में शामिल हो जायेगी. इस राष्ट्रव्याप बंद के लिए उभरते दलित लीडर अशोक भारती पूरे देश के दलित संगठनों को गोलबंद करने में जुटे हैं.
दैनिक जागरण ने लोजपा नेता रामविलास पासवान का हवाला देते हुए लिखा है कि उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि कैबिनेट ने ‘अनुसूचित जाति-जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) संशोधित कानून-2018’ के मसौदे को मंजूरी दे दी है. अब इसे संसद में पेश किया जायेगा और इसी सत्र में यह संशोधित कानून पास करा लिया जायेगा. इस कानून के तहत पूर्व की तरह ही उत्पीड़न के केस के तत्काल बाद आरोपी की गिरफ्तारी हो सकेगी.
दलित हितों की रक्षा के लिए संघर्षशील नेता अशोक भारती ने इस बीच नौकरशाही डॉट कॉम से खास बात चीत में कहा है कि सरकार के इस फैसले से वह झांसे में आने वाले नहीं हैं. क्योंकि कैबिनेट की मंजूरी का मतलब यह नहीं होता कि यह कानून पारित हो गया. कई बार ऐसे संशोधन संसद में लम्बित रह जाते हैं. उनहोंने कहा कि आज शाम छह बजे आल इंडिया अम्बेडकर महासभा की दिल्ली में बैठक हो रही है हम इस पर आगे की रणनीति तय करेंगे. हालांकि उन्होंने जोरदार तरीके से यह मांग उठाई है कि कि सरकार चंद्रशेखर रावण, उपकार बावडे, सोनू शिवकुमार, प्रधान शबीकुर और योगेश वर्मा समेत अनेक नेताओं को जेल से तत्काल रिहा करें और उन पर लगे रासूका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को हटाये.
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद धारा 438 के प्रावधान निष्क्रिय हो जाएंगे।कोर्ट के हालिया फैसले के बाद धारा438 के प्रावधान निष्क्रिय हो जाएंगे। इस धारा के तहत जांच कराने के बाद ही गिरफ्तारी हो सकती हैसुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित संगठनों ने किया था उग्र आंदोलन
1बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानून के तहत उचित जांच के बाद ही आरोपित को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। इसके बाद दलित हितों की रक्षा को लेकर बहस शुरू हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में 20 अप्रैल को देशभर में दलित संगठनों ने बड़ा आंदोलन भी किया था