राष्ट्रीय प्रतीक में बदलाव से देशभर में विरोध, नुकीले दांत क्यों?
अशोक स्तंभ में दिखनेवाले सिंह पहले सौम्य, गंभीर दिखते थे। अब संसद में स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक में बदलाव से देश में विरोध। इस बदलाव से बदल गया अर्थ।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नए संसद भवन की छत पर विशाल अशोक स्तंभ का अनावरण किया। थोड़ी देर बाद ही एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया कि क्या हमारे राष्ट्रीय प्रतीक को इस तरह बदला जा सकता है। पहले अशोक स्तंभ के सिंह गंभीर, सौम्य दिखते थे। इसे कई जानकारों ने जिम्मेदार शासन से जोड़ा है। अब प्रधानमंत्री ने जो नया राष्ट्रीय प्रतीक स्थापित किया, उसमें सिंह के दांत नुकीले हैं। सौम्यता की जगह स्पष्ट उग्रता दिख रही है। देश के लेखक, पत्रकार सहित प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस, राजद ने कड़े शब्दों में आपत्ति जताई है।
लेखक और प्राध्यापक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने पूछा- नेशनल एंबलैम जैसे चाहें वैसे बदला जा सकता है क्या? (Can the national emblem be changed by the government of the day?)। प्रो. अग्रवाल के ट्विटर हैंडल पर जाइए, तो आपको विस्तृत जानकारी मिलेगी कि राष्ट्रीय प्रतीक में क्या-क्या बदलाव किए गए हैं। सारे बदलाव उग्रता को दिखानेवाले हैं।
कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने सारनाथ में स्थापित अशोक स्तंभ और 2022 में नए लगाए स्तंभ का फर्क चित्र से समझाया है। उन्होंने इस बदलाव को राष्ट्र का घोर अपमान कहा है। गुरुदीप सिंह सप्पल ने कहा-सम्राट अशोक का शेर सांकेतिक है। वो सम्राट अशोक की फ़िलासफ़ी को दर्शाता है – जिसने ताक़त हासिल की, लेकिन मन में करुणा पैदा हुई तो ताक़त को शांति की दिशा में मोड़ दिया। इसीलिए अशोक का चिन्ह शेर तो था, लेकिन सौम्यता लिये था, धर्म चक्र के साथ। इस भाव के और चक्र के मायने हैं।
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राजद ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कहा-मूल कृति के चेहरे पर सौम्यता का भाव तथा अमृत काल में बनी मूल कृति की नक़ल के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सबकुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृति का भाव मौजूद है। हर प्रतीक चिन्ह इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है। इंसान प्रतीकों से आमजन को दर्शाता है कि उसकी फितरत क्या है।
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