पिछले दस वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसद में हर मुद्दे में साथ देनेवाले नवीन पटनायक अब उनके धुर विरेधी हो गए हैं। उन्होंने राज्यसभा के अपने सांसदों से दो टूक कहा कि अब मोदी का विरोध और सिर्फ विरोध होगा। राज्यसभा में उनके 9 सदस्य हैं। दोस्ती से दुश्मनी की इस कहानी से क्या नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू कोई सबक लेंगे?

बीजू जनता दल के प्रमुख और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पिछले दस साल से संसद में प्रधानमंत्री मोदी का आंख मूंद कर समर्थन करते रहे। इस बार लोकसभा चुनाव से पहले तक उनकी दोस्ती कायम थी। उन्होंने इंडिया गठबंधन में शामिल होंने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। चुनाव से पहले उनके भाजपा के साथ गठबंधन की चर्चा थी, लेकिन गठबंधन नहीं हो सका। भाजपा और बीजद दोनों अलग-अलग चुनाव लड़े। दशकों बाद नवीन पटनायक एक भी लोकसभा सीट जीतने में नाकाम रहे। राज्य विधानसभा चुनाव में भी उन्हें बुरी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला। अब सब कुछ गंवा कर होश में आए नवीन पटनायक। उन्होंने सोमवार को एलान किया कि अब भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का सिर्फ विरोध होगा।

नवीन पटनायक ने अपने सांसदों से कहा कि 27 जून से शुरू हो रही राज्यसभा की कार्यवाही में ओडिशा के हितों को मजबूती से उठाएं। कारगर विपक्ष की भूमिका निभाएं। जरूरत पड़ी तो विरोध में आंदोलन करें, लेकिन ओडिशा के हितों से कोई समझौता नहीं करें। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या वे इंडिया गठबंधन में शामिल होंगे, लेकिन माना जा रहा है कि वे विपक्षी गठबंधन के साथ मिल कर काम करेंगे।

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सोशल मीडिया में लोग कह रहे हैं कि भाजपा जिससे दोस्ती करती है, एक दिन उसे ही खा जाती है। लोग जदयू तथा टीडीपी से पूछ रहे हैं कि क्या वे नवीन पटनायक की हालत से कुष सीखेंगा या अपनी बर्बादी के बाद ही सीखेंगे। नवीन पटनायक के मोदी विरोधी कड़े रुख से विपक्षी राजनीति को बल मिलेगा।

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By Editor


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