AIMIM ने नवादा में दलितों के घर जलाए जाने की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह राज्य में नीतीश सरकार के कुशासन की नजीर है। नीतीश सरकार में दलित और मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं। समस्तीपुर में एक किशोरी का शव बरामद हुआ, उसके साथ बलात्कार की आशंका है, लेकिन जब परिजन न्याय मांगने गए, तो उन पर पुलिस ने डंडे बरसाए। एमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि नवादा में जिस प्रकार दलितों के घर पर हमले हुए, उनके घर जलाए गए, रात भर गोलियां चलाई गईं, गरीबों के इज्जत-आबरू से खिलवाड़ किया गया, उससे पूरे बिहार का सिर शर्म से झुक गया है। नवादा की घटना नीतीश सरकार के कुशासन की नजीर है।

उन्होंने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर बेहतर करने का दावा करने वाले नीतीश कुमार को राज्य की जनता से माफी मांगनी चाहिए। यह समझ से परे है कि राज्य के मुख्यमंत्री ने अपराधी तत्वों को खुली छूट क्यों दे रखी है। इससे समझा जा सकता है कि पुलिस पर कितना दबाव है। यही कारण है कि बिहार के अच्छे पुलिस अधिकारी अब नीतीश सरकार के अधीन काम करने को तैयार नहीं हैं। शिवदीप लांडे अच्छे आईपीएस अधिकारी रहे हैं, लेकिन उन्होंने भी आज नौकरी से इस्तीफा दे दिया और बिहार में व्याप्त कुशासन के खिलाफ लड़ाई लड़ने का इरादा किया है, इससे बड़ा और क्या उदाहरण हो सकता है।

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दलितों के घर जलाने पर मांझी तनाव बढ़ाने वाला बयान क्यों दे रहे

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एमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में दलितों और खासकर अल्पसंख्यकों का जीवन सुरक्षित नहीं है। समस्तीपुर में एक 16 साल की लड़की का शव मिला। उसके शरीर को काटा गया है, नोचा गया, लेकिन पुलिस का रवैया असंवेदनशील है। वैज्ञानिक तरीके से जांच नहीं की गई। और जब लड़की परिजन न्याय मांगने गए, तो उन पर पुलिस के डंडे बरसाए गए। अख्तरुल ईमान ने कड़े शब्दों में पूछा कि क्या इस मुल्क में इज्जत-आबरू के लिए आवाज उठाना भी पाप हो गया है। कहा कि एमआईएम राज्य की दोनों घटनाओं तथा राज्य में बढ़ते अपराध के लिए जो जिम्मेदार अधिकारी हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता है।

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By Editor


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