पाकिस्तान में भ्रष्टाचार विरोधी कोर्ट ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को दस साल की सजा ऐसे समय में सुनाई है जब वहां आम चुनाव होने वाले हैं.पाकिस्तानी राजनीति के अपरिहार्य हिस्सा रहे इस नेता के उत्थान व पतन की कहानी दिलचस्प है.
नौकरशाही ब्युरो, रिसर्च टीम
हाल ही में पाकिस्तान की अदालत ने उन्हें भ्रष्टाचार मामले में पीएम पद से हटा दिया था. और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस चलाने का आदेश दिया. इस मामले में लंदन में उनके चार फ्लेट्स होने की बात सामने आयी. अलजजीरा वेबसाइट के अनुसार इसी मामले में अदालत ने उन्हें दस साल की सजा सुनाई है. इस मामले में उनकी बेटी मरियम शरीफ को सात साल क सजा सुनाई गयी है.
नवाज शरीफ के उत्थान व पतन की कहानी
पाकिस्तान में स्टील इंडस्ट्री में दबदबा रखने वाले नवाज शरीफ के कुनबे को पहली बार भारी झटका तब लगा था जब जुलफिकार अली भुट्टो की सरकार ने 1976 में उनके उद्योग को राष्ट्रीयकृत कर दिया था. 1949 में पैदा हुए नवाज शरीफ यह समझ गये थे कि असल ताकत राजनीति में ही है. लिहाजा उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के तत्काल बाद मुस्लिम लीग से अपने सियासी सफर का आगाज किया. वह 1981 में पहली बार पंजाब प्रांत में वित्त मंत्री बने और महज चार साल बाद यानी 1985 में वहां के मुख्यमंत्री बन बैठे. इसी वर्ष पाकिस्तान मुस्लिम लीग टूट गयी और उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग( नवाज) गुट का गठन किया. इस प्रकार सियासत पर उनकी पकड़ मजबूत होती चली गयी.
नवाज शरीफ पहली बार 1990 में प्रधान मंत्री चुने गये लेकिन महज तीन साल बाद यानी 1993 में राष्ट्रपति ने उन्हें पद से बेदखल कर दिया. लेकिन अगले चुनाव में वह बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से चुनाव हार गये.
लेकिन राजनीति के इस माहिर खिलाड़ी ने संघर्ष जारी रखा और 1997 में दोबारा वह प्रधानमंत्री बने. उनका यह कार्काल ऐतिहासिक रहा. इसी दौरान पाकिस्तना ने परमाणु परीक्षण करके न सिर्फ दुनिया को चौंका दिया बल्कि वह घोषित रूप से दुनिया का परमाणु सम्पन्न राष्ट्र बन गया. लेकिन 1999 में उनके जीवन में एक बार फिर कठिन समय तब आया जब आर्मी चीफ परवेज मुशर्ऱफ ने उन्हें सत्ता से बेदखल करने के बाद उन पर मुकदमा दायर किया और आर्मी चीफ के जहाज को पाकिस्तान में लैंड नहीं करने देने के आरोप में उम्र कैद की सजा दी गयी. लेकिन तब सऊदी सरकार से उनके व्यक्तिगत रिश्तों के कारण सऊदी अरब के हस्तक्षेप के बाद उन्हें देशनिकाला कर दिया गया और उन्होंने सऊदी अरब में शरण ली.
लेकिन 2007 में नवाज शरीफ ने अपने पतन का बदला मुशर्रफ से चुकाते हुए उन्हें राष्ट्रपति पद से हटने को मजबूर किया और खुद पीएम चुने गये.