मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई में साल 2016 में राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी. राज्य में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार (क्राइम) और घरेलू हिंसा को कम करना इसका लक्ष्य था. कहा गया था कि शराब पीने की वजह से ज्यादा क्राइम होते हैं. मगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ें कहते हैं कि शराबबंदी के बाद भी क्राइम का ग्रॉफ संतोषजनक नहीं कहे जा सकते हैं.
नौकरशाही डेस्क
NCRB 2016 के अनुसार, साल 2016 में राज्य में 2.5 की दर से हत्या के 2581 मामले सामने आये, जिनमें विक्टिम 2593 थे, जबकि साल 2015 में 3.1 की दर से हत्या के 3178 मामले सामने आये थे, जिनमें विक्टिम 3183 थे. इसी तरह साल 2016 में 6.7 की दर से हत्या के प्रयास के 6498 मामले दर्ज किये गए, जिनमें विक्टिम 7289 थे, जबकि साल 2015 में 5.8 की दर से हत्या के प्रयास के 5981 मामले दर्ज किये गए, जिनमें विक्टिम 6352 थे.
इस साल गैंग रेप मामले की संख्या 8 दर्ज की गई, जबकि 0.6 की दर से राज्य भर से 321 ऐसे मामले दर्ज किए गये, जिनमें बलात्कार की कोशिश की गई.
वहीं, राज्य में बलात्कार के 2.0 के दर से 1008 मामले सामने आये हैं, जबकि ये आंकड़ा साल 2015 में 2.1 की दर से 1041 थे. इस साल गैंग रेप मामले की संख्या 8 दर्ज की गई, जबकि 0.6 की दर से राज्य भर से 321 ऐसे मामले दर्ज किए गये, जिनमें बलात्कार की कोशिश की गई. वहीं, साल 2015 में गैंग रेप के 15 मामले दर्ज किये गए थे, जबकि 0.8 की दर से 403 ऐसे मामले दर्ज किये गए थे, जिनमें बलात्कार की कोशिश की गई. साल 2016 में 0.2 की दर से सेक्सुअल ह्रासमेंट के भी 124 मामले सामने आये हैं और 7 ऐसे मामले दर्ज किये गए, जो एसिड अटैक या उसके प्रयास थे. जबकि साल 2015 में 0.2 की दर से सेक्सुअल ह्रासमेंट के भी 78 मामले सामने आये थे और 15 ऐसे मामले दर्ज किये गए, जो एसिड अटैक या उसके प्रयास थे.
इस साल यानी 2016 में दहेज हत्या के 987 मामले भी दर्ज किये गए, जो साल 2015 में 1154 था. जबकि राज्य भर से मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध के 44.1 की दर से 42865 मामले दर्ज किये गए, जिनमें विक्टिम की संख्या 44223 थे. उधर क्राइम के मामले में मेट्रोपोलिटन सिटिज में राजधानी पटना का स्थान आठवां रहा. कुल क्राइम 2.7 प्रतिशत, संज्ञेय अपराध की दर 137.2 और मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराधों की संख्या 224.1 के दर से 4588 मामले दर्ज किये गए, जिनमें विक्टिम की संख्या 4770 दर्ज की गई. वहीं, पटना में बलात्कार के भी 0.9 के दर से 9 मामले दर्ज किये गए. वहीं, राज्यभर में दंगे 11.1 की दर से 11617 मामले दर्ज हुए, जो 2015 में 12.9 की दर से 13311 मामले दर्ज हुए थे. 0.5 के दर से 2016 में जातिगत हिंसा 521 मामले दर्ज किये गए, तो भीड़ द्वारा हिंसा के 1.7 की दर से 1796 मामले सामने आये. कम्यूनल राइट 0.1 की दर से 139 रही.
हालांकि, बिहार समाज कल्यण विभाग द्वारा सर्वे किया गया था जिसकी रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि महिलाएं अब ज्यादा खुशहाल हैं. बिहार में महिलाएं अब सुरक्षित हैं. महिला हिंसा की वारदात अब यहां पहले के मुकाबले कम हैं.
नोट – आंकड़े http://ncrb.gov.in/ पर आधारित हैं.