बिहार एनडीए में सिरफुटौव्वल तेज हो गई है। भाजपा की बैठक में सहयोगी दलों पर हार का ठीकरा फोड़ा गया। कहा गया कि जदयू का वोट भाजपा को ट्रांसफर नहीं हुआ, इसीलिए मगध क्षेत्र में कई सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। उधर जदयू के नेताओं का कहना है कि जहां उसके प्रत्याशी मैदान में थे, वहां भाजपा और संघ के कार्यकर्ता मन से सहयोग नहीं कर रहे थे। इसी बीच गुरुवार को राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा की आलोचना करते हुए चुनाव में हुई हार की समीक्षा की मांग कर दी है।
मालूम हो कि पटना में भाजपा कार्यालय में पार्टी विस्तारकों की बैठक में भाजपा की हार के लिए सहयोगी दलों खासकर जदयू को जिम्मेदार बताया गया। कहा गया कि जहां भाजपा प्रत्याशी थे, वहां जदयू ने अपना वोट ट्रांसफर नहीं किया, इसीलिए भाजपा की हार हई। इस पर उपेंद्र कुशवाहा ने अखबार में प्रकाशित खबर के साथ सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि इस तरह सहयोगी दलों पर आरोप की खबर मीडिया में कैसे आ गई। ऐसी खबरें मीडिया में नहीं आनी चाहिए। इसी के साथ उन्होंने खुद भी चुनाव में हार की समीक्षा की मांग कर दी। उन्होंने एनडीए के भीतर समीक्षा की मांग की है।
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विशेष दर्जा की मांग पर पीछे हटा जदयू, राजद ने घेरा
खुद कुशवाहा भाजपा के एक विद्रोही प्रत्याशी के कारण काराकाट से चुनाव हार गए। काराकाट में भाजपा के पवन सिंह निर्दलीय मैदान में कूद पड़े। भाजपा के अधिकतर समर्थक और कार्यकर्ता भी पवन सिंह के लिए काम करते देखे गए। स्थिति यह हो गई कि एनडीए प्रत्याशी होने के बावजूद कुशवाहा तीसरे नंबर पर रहे और मुख्य मुकाबला माले और निर्दलीय में हो गया। जाहिर है कुशवाहा को भाजपा ने ही दर्द दिया है। चुनाव में उन्हें एक ही सीट दी गई और वह भी हार गए। अब उनके राजनीतिक भलिष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है। माना जा रहा है कि सिरफुटौव्वल अभी तेज होगी।