युरोप में 400 साल पुराना संसद तो मोदी को नये संसद का जुनून क्यों
नीदरलैंड्स, इटली फ्रांस और अमेरिका में दो सौ से चार सौ साल पुराने संसद भवन आज भी अपनी चमक-दमक के साथ कायम हैं. मोदी 100 साल में ही नये संसद भवन पर 971 करोड़ क्यों फूकने पर तुले हैं?
क्या नरेंद्र मोदी को लुटियंस की डिजाइन किये हुए संसद से चिढ़ है. क्या उन्हें नये संसद भवन पर अपने नाम का शिलालेख गुदवाने का जुनून है. क्या मोदी खस्ता हाल अर्थव्यवस्था के ऐब को छुपाने के लिए दुनिया को बताना चाहते हैं कि हम हजार करोड़ रुपये पानी की तरह बहा सकते हैं. दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका का संसद भवन ‘कैपिटल’ 200 साल से आन- बान औऱ शान से अब भी खड़ा है. नीदरलैंड्स का संसद भवन चार सौ साल से अपनी ऐतिहासिकता को संजोय हुए है. इटली का संसद भवन भी सैकड़ों साल पुराना है. तो फिर यह मोदी सरकार का कैसा जुनून है. नोटबंदी की तबाही, अपरिपक्व जीएसटी से कंगाल और कोरोना संकट से बेहाल देश का 971 रुपये पानी की तरह बहा कर आखिर मोदी सरकार क्या जताना चाहती है.
कुछ लोग तर्क करेंगे. कुछ लोग हर वो कारण गिनायेंगे और जस्टिफाइ करेंगे कि संसद की क्षमता नयी सदी की जरूरतों को पूरी करने के लायक नहीं. इसलिए नये संसद भवन की जरूरत है.
लेकिन उनके इस तर्क में कोई दम नहीं है. क्योंकि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका का संसद दो सौ साल से अपने इतिहास और अपने धरोहर के साथ अब भी अमेरिकी जरूरतों को पूरी कर रहा है तो ऐसे में क्या नरेंद्र मोदी नया संसद सिर्फ इसलिए बनवाना चाहते हैं कि उस इमारत पर अपना नाम जड़वा कर अपनी हसरत पूरी कर लें.
खैर. नरेंद्र मोदी की हसरत जो भी हो. इसके खर्च का खामयाजा देश की गरीब जनता को ही तो भरना पड़ेगा. ऐसे में आइए देखें कि अमेरिका और युरोप के देशों के संसद भवनों में क्या खास है कि दुनिया के अमीरतरीन देश अपने सैकड़ों वर्ष पुराने संसद भवन पर अब भी गर्व कर रहे हैं.
भारत का संसद 1921 में बन कर तैयार हुआ. इसका डिजाइन एडविन लुटियंस ने किया था. इस पर कुल खर्च 83 करोड़ आया था.
लूट, डकैती, हत्या,हिंसा पर तेजस्वी का वार, नीतीश बेकरार
मोदी सरकार चाहती तो इस भवन में ही सांसदों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर इसमें इजाफा कर सकती थी.
नीदरलैंड
दुनियाभर में नीदरलैंड के संसद की इमारत द बिन्नेनहोफ (The Binnenhof) सबसे पुरानी मानी जाती है जिसका इस्तेमाल अभी हो रहा है। हेग शहर में बने इस भवन का निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था। नीदरलैंड के संसद में अभी भी काम हो रहा है। इसके दोनों ही सदनों में संसद की बैठकें होती रहती हैं।
इटली
इटली का संसद भवन भी काफी पुराना है। इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था। इस संसद भवन का निर्माण 1505 में पूरा हो गया था और यहां पर इटली की संसद के एक सदन द सीनेट ऑफ द रिपब्लिक की बैठक 1871 से हो रही है। और अब भी इस संसद की जगह दूसरी इमारत बनाने की जरूरत नहीं पड़ी.
फ्रांस
जहां तक फ्रांस के संसद का सवाल है. तो आपको जान कर आश्चर्य होगा कि यह 17वीं शताब्दी की इमरात है. आज भी संसद की नियमित बैठकें यही होती हैं. इसका नाम लग्जमबर्ग पैलेस है और यह पेरिस में स्थित है। फ्रांसीसी भवन को राजा के भवन के रूप में 1615 से 1645 के बीच में बनाया गया था और वर्ष 1958 से लगातार यहां पर संसद भवन की बैठक होती है।
अमेरिकी संसद भवन ‘कैपिटल’
अमेरिका को अपनी दौलत, अपनी अमीरी और अपनी चौधराहट पर घमंड है. यह दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देशों में शुमार है. अमेरिका के संसद भवन कैपिटल का निर्माण सन 1800 में पूरा हुआ था . अब भी इसी इमारत में सदन की कार्यवाही होती है.
ब्रिटेन
ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन और हाउस ऑफ लॉर्ड्स का निर्माण क्रमश: 1840 और 1870 में हुआ था। कम से कम यह डेढ़ सौ साल पुरानी इमारत है. लेकिन ब्रिटेन को नये संसद भवन की जरूरत नहीं पड़ी.