उप्र की राजनीति में कुछ पक रहा है। भाजपा विधायक राजेश चौधरी ने बसपा प्रमुख मायावती पर अभद्र टिप्पणी की, तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने खुल कर विरोध किया। कहा कि उस विधायक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। इसके बाद मायावती ने सपा प्रमुख का आभार जताया। इस आभार के जवाब में सपा प्रमुख ने फिर लंबा जवाब लिखा कि वंचित-दलित समाज की सम्मानित पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के लिए अभद्र शब्दों का इस्तेमाल उनका अपमान है और इस अपमान को पीडीए समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।
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सपा प्रमुख को मायावती द्वारा आभार जताना तथा सपा प्रमुख द्वारा मायावती के पक्ष में खड़ा होने से उप्र की राजनीति में नई चर्चा शुरू हो गई है। पिछले वर्षों में अखिलेश यादव तथा मायावती में बड़ा राजनीतिक विरोध रहा है। मायावती खुल कर अखिलेश यादव की सपा का विरोध करती रही हैं। उनके इस प्रकार आभार जताने को लोकसभा चुनाव के बाद बदली हुई स्थिति में बदलते समीकरण के रूप में देखा जा रहा है। अब तक माना जा रहा था कि वे मायावती भाजपा के दबाव में काम कर रही हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी दिए, जिससे सपा को कुछ सीटों पर नुकसान भी हुआ। चुनाव के बाद सपा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है, तथा भाजपा को बुरी हार का सामना करना पड़ा। माना जा रहा है कि इससे बसपा पर भाजपा का दबाव कम हुआ है। उधर मायावती भी जानती हैं कि अकेले राजनीति करने से उनकी पार्टी खत्म हो जाएगी। लोकसभा में वह एक भी सीट नहीं जीत पाईं। उधर खिलेश यादव भी समझ रहे हैं कि अगर मायावती साथ आ गईं, तो भाजपा तीन अंकों तक भी नहीं पहुंच पाएगी। फिर अब मायावती साथ आती हैं, तो उनकी स्थिति पहले वाली नहीं होगी। पहले वे सपा से ज्यादा या बराबर सीटों की मांग करतीं, लेकिन अब उनकी वह क्षमता नहीं रही। उप्र की राजनीति में कुछ तो पक रहा है।