मेनस्ट्रीम मीडिया का एक गिरोह जब फर्जी खबर फैला कर विशेष समुदाय को टारगेट करके समाुदायिक एकता को तोडने की कोशिश करता है तो अब उन्हें मुंहतोड़ जवाब भी मिलने लगा है.
हर तरफ से दंगाई मीडिया का प्रहार जारी है. हममें से ज्यादातर लोग दुखी, मर्माहत और हीन भावना से ग्रस्त हैं. जब अल्पसंख्यक व बहुजन समाज के लोगों पर, दंगाई मीडिया जहर उगलता है, समाज के भाईचारे को तहस-नहस करता है, तो दिल को चोट तो पहुंचती ही है.
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कुछ ऐसा ही उदाहरण सोमवार को दिखा. News18 ग्रूप के News18 यूपी ने दारुल उलूम देवबंद के बारे में ट्विट किया था कि “दारुल उलूम देवबंद बना कोरोना का हॉटस्पॉट, अब तक 47 कोरोना मरीजों की पुष्टि”
इस खबर के बाद दारुल उलूम ने चैनल पर एफआईआर कर दिया. दूसरी तरफ दारुल ऊलूम की एफआईआर की सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी. इसके बाद ट्विटर पर #News18UP_दंगाई_है का अभियान चल पड़ा. इस के कुछ ही घंटों बाद न्यूज 18 यूपी ने भूल सुधार करके एक तरह से माफी मांग ली और दारुल उलूम देवबंद शब्द अपनी न्यूज से हटा दिय.
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हाल ही में आपने देखा कि #News18Bihar ने कोरोना पर कैसी जहरीली रिपोर्टिंग की थी. तो सोशल मीडिया की ही ताकत थी उसके नंगा नाच को बेनकाब किया जा सका था.
अबकि बार उसने यही नंगा नाच उत्तर प्रदेश के दारुल उलूम देवबंद के बारे में किया. इस बार हम लोगों ने दो मोर्चे पर लड़ाई लड़ी. और इस चैनल को खुद उसका थूक चटवाने पर मजबूर कर दिया गया.
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किस्सा ए मुख्तसर यह है कि एक तरफ देवबंद के अधिकारियों को इस बात के लिए तैयार किया गया कि वह #News18UP के खिलाफ एफआईआर करे. दूसरी तरफ ट्विटर पर इस दंगाई चैनल के खिलाफ अभियान छेड़ा गया. बस घंटे-दो घंटे में चैनल अपनी फर्जी खबर हटा ली और खबर का एडिटेड वर्जन पब्लिश किया.
ऐसे ही लगेगा लगाम
इस पूरे मामले में दो बातें महत्वपूर्ण हैं. पहला- कि फर्जी खबरों को इग्नोर नहीं किया गया. और दूसरा सोशल मीडिया पर न्यूज18यूपी के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज किया गया. यह याद रखने की बात है कि सामुदायिक नफरत फैलाने के उद्देश्य से कुछ मीडिया घराने किस भ स्तर पर चले जाते हैं. उन्हें अब तक एहसास रहा है कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. लेकिन अब उनका भ्रम टूट रहा है.
न्यूज18 बिहार ने भी की थी दंगाई पत्रकारिता
इससे पहले बिहार में न्यूज 18बिहार ने इस तरह के झूठ पर आधारित एसएसबी कमांडेंट की एक चिट्ठी पर खबरों का अभियान चलाया था. पूर्वी चम्पारण में एसएसबी के कमांडेंट प्रियव्रत शर्मा ने पत्र में उल्लेख किया था कि नेपाल के दो मदरसे- चंदन बारा और खैरवा में पाकिस्तानी समेत 200 मुसलमान कोरोना संदिग्ध छिपे हैं जो भारत आ कर कोरोना वायरस फैलाना चाहते हैं. न्यूज18 बिहार को यह बखूबी मालूम है कि ये दोनों प्रसिद्ध मदरसे हैं और बिहार के पूर्वी चम्पारण में हैं. इसके बावजूद चैनल ने फर्जी खबर को हवा दी. इसके बाद नौकरशाही डाट काम ने इस अफवाह के अभियान को बेनकाब किया. इस मामले में एसएसबी कमांडेंट को लीगल नोटिस भी भेजा गया.
दंगा भड़का कर समाज में एकता को खंडित करने वाले दंगाई चैनलों के विरुद्ध विरोध दर्ज करने और उसके खिलाफ अभियान छेड़ कर ही उन्हें उनकी औकात पर लाया जा सकता है.