मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दबाव सहने को तैयार नहीं है। खबर है कि मुख्यमंत्री आवास पर पार्टी की हाईलेवल मीटिंग हुई। मीटिंग में नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि पिछली बार 2020 में जितनी सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ी थी, उतनी ही सीटें इस बार भी चाहिए। उससे कम स्वीकार नहीं है। उनके इस प्रकार कड़ा संदेश देने से उन नेताओं के होश उड़ गए हैं, जो सीट प्रबंधन के काम में लगे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक में मुख्यमंत्री के बेटे निशांत कुमार भी मौजूद थे।
माना जा रहा है कि भाजपा लगातार जदयू पर इस बात के लिए दबाव बना रही है कि वह पिछली बार से कम सीटों पर राजी हो जाए। इसके पीछे चिराग पासवान को एडजस्ट करना बताया जा रहा है। खबर यह भी है कि चिराग पासवान 40 से कम सीटों पर राजी नहीं हो रहे हैं। उनके पांच सांसद हैं।
इधर जदयू के एक प्रदेश स्तर के नेता ने कहा कि चिराग पासवान के पीछे दरअसल भाजपा ही है। भाजपा नहीं चाहती है कि वह 2025 चुनाव के बाद नीतीश कुमार की पार्टी पर निर्भर रहे। इसीलिए जदयू की सीटें कम करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि भाजपा को चिराग पासवान, जीतनराम मांझी या उपेंद्र कुशवाहा से कोई परेशानी नहीं है। इन्हें भाजपा मैनेज कर लेगी, लेकिन नीतीश कुमार को मैनेज करना तब मुश्किल हो जाएगा, जब उन्हें फिर 45-50 सीटें आ जाएं। जदयू नेता ने कहा कि इसीलिए भाजपा सीट बंटवारे में ही जदयू की सीटें कम दर देने की फिराक में है।
इस बीच नीतीश कुमार के अड़ जाने से एनडीए में संकट बढ़ गया है। नौकरशाही डॉट कॉम ने जदयू नेता से पूछा कि क्या नीतीश कुमार कम सीट मिलने पर फिर से पाला बदल सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि फिलहाल इसकी संभावना कम है।