इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
नीतीश भले समय लेते हैं. वक्त का इंतजार करते हैं. पर समय मिलते ही वह अपने विरोधी को भितरिया मार मारते हैं. वह ऐसी चौट देते हैं कि सामने वाला खुल के कराह नहीं पाता.
दिलीप जायसवाल, बिहार भाजपा के अध्यक्ष, नीतीश के भितरिया मार से तीन दिन बेसुध पड़े रहे. पर आज उनकी आह, गुस्से के रूप में निकल पड़ी.
उन्होंने साफ कहा- “हम नीतीशजी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे. चुनाव बाद संसदीय बोर्ड तय करेगा कि सीएम कौन बनेगा”.
इस बयान पर बवाल होना था. हुआ भी. पर फिर से जायसवाल साहब सामने आये और अपने बयान का रफू कर दिया.
दर असल नीतीश ने उन्हें, उनके मंत्रिपद से जबरिया निकाल दिया था. बस तीन दिन पहले. जायसवाल बुरी तरह आहत हुए. चंद घंटों की मोहलत थी, लिहाजा इस्तीफा टाइप कराने का भी अवसर नहीं था. हाथ से लिख कर इस्तीफा पेठा दिया. वर्तनी की अशुद्धियां खूब हुई. जनाब ट्रोल हुए. हालांकि पीएचडी हैं. खैर.
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दर असल जायसवाल ने पिछले नवम्बर में, नीतीश की सहमति के बिना जमीन सर्वे का काम टलवा दिया था. करीब दो साल के लिए. ये बात नीतीश के ईगो को लग गयी थी. नीतीश ने याद रखा था. तीन महीने बाद जब मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो नीतीश ने जेपी नड्डा को कहा- जायसवाल को हटाइए. तीन घंटे में कैबिनेट विस्तार कर देंगे.
आइए हक की बात देखिए. जायसवाल की दुर्दशा समझिये. कहीं और न मिलेगा.