बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक देख नीतीश सरकार विपक्ष की हर मांग को धड़ाधड़ स्वीकार कर रही है। मंगलवार को बिहार कैबिनेट की बैठक में मिड डे मील रसोइया, रात्रि प्रहरी और स्वास्थ्य अनुदेशकों का मानदेय बढ़ा दिया गया। इससे पहले आशा कार्यकर्ताओं का भत्ता बढ़ाया गया था।
नीतीश कैबिनेट की बैठक में कुल 36 प्रस्तावों को स्वीकार किया गया। अब मिड डे मील रसोइया को पहले 1650 रुपए मिलते थे, जिसे बढ़ाकर 33 सौ रुपए कर दिया गया है। राज्य में दो लाख 30 हजार से ज्यादा रसोइया हैं, जिन्हें इस बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा। हालांकि इस महंगाई के जमाने में यह बढ़ोतरी भी नाकाफी है। इसी तरह रात्रि प्रहरी को पहले पांच हजार रुपए मिलते थे, जिसे बढ़ा कर 10 हजार रुपए कर दिया गया है। फिजिकल टीचर का मानदेय 8 हजार रुपए से बढ़ाकर 16 हजार रुपए कर दिया गया है।
कैबिनेट की बैठक के बाद अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने मीडिया को बताया कि शिक्षक बहाली में 84.4 प्रतिशत डोमिसाइल लागू कर दिया गया है। इस प्रकार अब अनारक्षित 40 प्रतिशत सीटों में 15 प्रतिशत सीटों पर ही बिहार के बाहर के अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे।
इधर राजद ने कहा कि सरकार से लोग नाराज हैं। उन्हें विधानसभा चुनाव में स्पष्ट हार दिख रही है। इसीलिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की घोषणाओं को सरकार लागू कर रही है। सरकार के पास अपना कोई विजन नहीं है। सवाल है कि दशकों से मुख्यमंत्री के पद पर नीतीश कुमार हैं, लेकिन उनकी आंखें अब क्यों खुल रही हैं। उन्होंने पहले मानदेय क्यों नहीं बढ़ाया। बिहार की जनता सब समझ रही है और इसका कोई चुनावी लाभ एनडीए को नहीं मिलेगा।