इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
नये साल के पहले दिन, लालू के ऑफर से नीतीश कुमार आत्मविश्वास से लबरेज हैं. और समझा जाता है कि वह, उसी सपोर्ट की बदौलत अपने एक-एक अपमान का बदला भाजपाइयों से लेने में जुट गये हैं.
पहले उन अपमानों का जिक्र जान लीजिए. पिछले दिनों नीतीश दो दिनों के लिए दिल्ली गये. तय हुआ कि पीएम से मुलाकात होगी. गिले-शिकवे दूर होंगे. पर पीएम ने मिलने से मना कर दिया और कहा गया कि आप जेपी नड्डा से मिल लीजिए. पर ऐन वक्त पर नड्डा ने भी नीतीश को समय देने से इनकार कर दिया. इधर नीतीश पटना आते उससे पहले ही बिहार भाजपा ने एक तरफा फैसला करते हुए जमीन सर्वे के काम को डेढ़ साल के लिए टालने का ऐलान कर दिया.
दिल्ली से पटना तक इस अपमानजनक व्यवहार से नीतीश खासी वेदना के शिकार हुए. वह मन मसोस के रह गये.
इसी बीच लालू प्रसादा ने अपने तजुर्बे से सब भांपते हुए नहला पर दहला चल दिया. उन्होंने नीतीश को, साथ आने का आफर दे दिया.
लालू के इस आफर से नीतीश जोश में आ गये. सबसे पहले भाजपा कोटे के मंत्रियों की तमाम फाइलों को जब्त करवाली. ऐसी सियासी गलियारों में खूब चर्चा है. दूसरा कदम उन्होंने यह उठाया कि अब नीतीश की इजाजत के बिना कोई फैसला ही नहीं लिया जा सकता.
औऱ तीसरा कदम उन्होंने जो उठाया वह तो और भाजपाइयों के सीने में खंजर कुरेदने के समान है. दो उपमुख्यमंत्रियों के सर पर एक तीसरे शख्स को बिठा दिया. ये हैं, विजय चौधरी. तस्वीरों में देखिए कि कैसे नीतीश के उपमुख्यमंत्री मुंह लटकाये किनारे पड़े हैं. जबकि एक विजये चौधरी, जो नीतीश के खास माने जाते हैं उनके करीब सीना तान के बैठे हैं.
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उपमुख्यमंत्री विजय चौधरी की यह लाचार तस्वीर यूं ही नहीं है. नीतीश के अपमान काे बदला का गवाह है ये बोलती तस्वीर.
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