नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहारी मजदूरों को बिहार बुलाने के बजाये खगड़िया के 222 मजदूरों को तेलंगना भेजने को नीतीश सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा बताया है.
तेजस्वी ने कहा कि बिहार सरकार ने ख़गड़िया से देर रात्रि एक ट्रेन से 222 बिहारवासी श्रमवीर तेलंगाना भेजे है। संवेदनहीनता की भी एक सीमा होती है। जहाँ सभी राज्य सरकारें अपने राज्यवासियों को वापस लाकर उनकी बेहतरी में दिन-रात प्रयासरत है।
वहीं तालाबंदी से पहले बिहार आए अप्रवासी मज़दूरों को बिहार सरकार वापस बाहर भेज रही है। रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देने वाली ये सरकार है या Manpower एजेंसी?
तेजस्वी ने कहा कि ये असंवेदनशीनता दुःखद तो है ही साथ में CM के उस फ़र्ज़ी दावे की भी पोल खोल रही है जिसमें उन्होंने कहा था की अप्रवासी मज़दूरों का कौशल सर्वे करा बिहार में ही उनको रोज़गार देंगे।
ये तो सरकार के द्वारा forced पलायन है। क्यों मुख्यमंत्री जी इतनी जल्दी बोझ बन गए हमारे ये कर्मवीर भाई?
अगर इन मज़दूरों को वहाँ कुछ होता है तो क्या बिहार सरकार इसकी ज़िम्मेदारी लेगी? आख़िर इतनी जल्दबाज़ी क्यों? क्या सरकार को उनके स्वास्थ्य और गरिमा का फ़िक्र और सम्मान नहीं करना चाहिए? यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
काश! सरकार द्वारा इतनी तत्परता अप्रवासी मज़दूरों को वापस लाने में दिखाई जाती।