नीतीश के तेवर से सहमी भाजपा, प्रज्ञा ठाकुर व विशेष दर्जे के मुद्दे को हवा देने का निकाला जा रहा है मतलब
चुनाव खत्म होते ही जदयू के नजरिये में आये बदलाव से भाजपा सहम गयी है. नीतीश ने चुनाव खत्म होते ही जहां प्रज्ञा ठाकुर के गोडसे संबंधी बयान और उनकी पार्टी द्वारा अचानक विशेष राज्य के मुद्दे को उठाये जाने के बाद भाजपा के अंदर माथापच्ची शुरू हो गयी है.
नौकरशाही मीडिया डेस्क
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव परिणाम अगर भाजपा के पक्ष में नहीं हुए तो विशेष राज्य के मुद्दे के सहारे जदयू कांग्रेस गठबंधन के करीब जा सकता है. उधर कांग्रेस को भी एक नये सहोगी मिलने पर, माना जा रहा है कि उसे कोई दिक्कत नहीं होगी.
ध्यान देने की बात है कि नीतीश कुमार ने सातवें व अंतिम चरण के चुनाव के तुरंत बाद प्रज्ञा ठाकुर के नाथु राम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान की कड़ी आलोचना की और इसे ना काबिले बर्दाश्त बताया है. उधर भाजपा के दो बड़े नेता केसी त्यागी और वशिष्ठ नारायण सिंह ने विशेष राज्य के मुद्दे को फिर से उठाना शुरू कर दिया है. जदयू के इन दो बयानों के बाद भाजपा खेमे में माथपच्ची शुरू हो गयी है. बताया जा रहा है कि सुशील मोदी समेत अनेक नेताओं ने बीते दिनों चुनाव के बाद की स्थितियों पर फिडबैक मीटिंग की तो जदयू के नये स्टैंड पर भी चर्चा हुई है.
बदलती हवा को भांप रहे हैं नीतीश
याद रखने की बात है कि जदयू पिछले एक दशक से विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर आंदोलन करता रहा है. लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद और फिर राजद छोड़ कर भाजपा संग बिहार में सरकार बना लेने के बाद जदयू ने इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया था.
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इस बीच पिछले कई सालों से तेजस्वी यादव नीतीश की विशेष राज्य दर्जे के मुद्दे पर चुप्पी साधने की आलोचना करते रहे हैं.
उधर समझा जाता है कि नीतीश अगर कांग्रेस का दामन थामने की कोशिश करेंगे तो इस पर राजद असहज हो जायेगा. हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि राजद, नीतीश की कांग्रेस गठबंधन में एंट्री के खिलाफ बहुत ज्यादा कुछ करने की स्थिति में नहीं होगा.
लेकिन ये तमाम बातें तब संभव होंगी जब एनडीए को लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिलेगा.