नीतीश जी चन्नी पर खिसिया कर बिहारियों को बना रहे उल्लू

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के सभी बड़े नेता कल शाम से पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी को जमकर कोस रहे हैं। कोस कर बिहारियों को ऐसे बना रहे उल्लू।

कुमार अनिल

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित जदयू-भाजपा के सभी बड़े नेता कल से ही पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को पानी पी-पीकर कोस रहे हैं। खिसिया रहे हैं। बिहारी में कहें, तो चन्नी को खूब गरिया रहे हैं। चन्नी ने कहा था कि बिहार-यूपी के भैया को घुसने नहीं देंगे।

किसी को गरियाना, किसी पर हत्थे से उखड़ना और गुस्सा जतलाना दरअसल एक बेहोशी की दवा है। आप किसी को गरियाना शुरू करिए तो आप अपने घर का दुख, बेटे की बेराजगारी, खेत में खाद की कमी, फसल की उचित कीमत की बात भूल जाते हैं। परनिंदा में एक रस मिलने लगता है।

ठीक यही काम कल से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित बिहार के जदयू-भाजपा नेता कर रहे हैं। चन्नी को गरियाकर बिहारियों को बेहोशी की दवा दे रहे हैं कि आप बेहोश ही रहें। आप यह सवाल करना भूल जाएं कि 15 साल से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। जदयू-भाजपा की सरकार है। 15 साल पहले नीतीश कुमार ने ही कहा था कि बिहार को इतना विकसित करना है कि किसी को रोटी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। पटना में कितनी बार एनआरआई सम्मेलन हुआ। कृषि विकास का रोडमैप बना। कितना प्रचारित हुआ। लेकिन आज भी आखिर छह हजार-दस हजार रुपए महीना कमाने के लिए बिहारियों को दूर प्रदेश की खाक क्यों छाननी पड़ती है। गोलगप्पा बेचने के लिए कश्मीर जाना पड़ता है, ताकि परिवार को दो जून की रोटी मिल सके। रोटी के लिए बिहारी नगालैंड से लेकर अंडमान तक जाता है।

हरियाणा सरकार ने बिहार-यूपी के युवकों को बाहर करने के लिए ही 75 प्रतिशत रोजगार स्थानीय को देने का नियम बनाया। कई और भी प्रदेश बना रहे हैं। यह क्या है? कभी दिल्ली में, कभी मुंबई में, कभी पंजाब में कोई नेता कह देता है कि बिहारियों को बाहर करो। हरियाणा सरकार का फैसला मुख्यतः बिहारियों को ही जॉब में आने से रोकना है। इसका कोई विरोध क्यों नहीं करता?

यह ठीक है कि देश में किसी को किसी भी कोने में जाकर रोजगार करने का अधिकार है, उस लिहाज से चन्नी का बयान ठीक नहीं है> विरोध भी होना चाहिए, लेकिन हकीकत सिर्फ इतना ही नहीं है।

हम पटना में बैठकर जितना भी कहें कि बिहारी पंजाब सहित सारे महानगर की गति के पहिया हैं, उनके बिना ये बड़े शहर रुक जाएंगे, लेकिन हकीकत का एक दूसरा पहलू भी है। बिहारी जब रोटी के लिए बाहर जाता है, तो वह परिवार से दूर याचक की तरह होता है। उसे आत्मसम्मान को घायल करके वहां काम के लिए हाथ पसारना पड़ता है। वहां के स्थानीय मजदूरों से कम मजदूरी पर काम करना पड़ता है, इससे मजदूर-मजदूर में दूरी बनती है।

नीति आयोग ने बिहार को देश का फिसड्डी राज्य घोषित किया। सिर्फ रोजगार के लिए ही नहीं, आंख के इलाज के लिए भी दिल्ली जाना पड़ता है, पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ता है। इसलिए चन्नी की आलोचना करते समय अपनी सरकार से सवाल करना न भूलें।

लोस अध्यक्ष पटना पहुंचे, सत्तापक्ष ने रोया रोना, तेजस्वी हमलावर

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427