आदरणीय मुख्यमंत्री, बिहार सरकार 

क्या आप रातों को चैन से सो पाते हैं? क्या आपको इन 42 बेटियों की चिंता नहीं है, जिन्हें महीनों तक मुजफ्फरपुर बालिका गृह में दरिंदे रेप का शिकार बनाते रहे. ये बिहार की बेटियां हैं. कई लावारिस, कुछ समाज द्वारा पहले से प्रताड़ित. कुछ नाइंसाफी की शिकार तो कुछ मुक बधिर. पूरा देश यह खबर पढ़-सुन कर सहम गया है. लोग इनमें अपनी बेटियों की तस्वीर देख रहे हैं. अपने आप से पूछ रहे हैं कि अगर उन बच्चियों की जगह उनकी बेटियां होती तो उन पर क्या बीतती. दुनिया जान चुकी है कि ब्रजेश ठाकुर नाम का व्यक्ति जो सरकारी रसूख का आदमी है. वह सरकार द्वारा दी गयी करोड़ों की राशि से शेल्टर होम चलाता था. लेकिन उसके शेल्टर होम में रहने वाली 42 में से 34 बच्चियों के साथ नियमित रूप से रेप की पुष्टि खुद पटना मेडिकल कालेज अस्पताल के अधीक्षक ने कर दी है. इन बच्चियों को शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना भी की जाती थी. इनका यौन शोषण भी होता था. इन बच्चियों की उम्र महज 7 से 17 साल के बीच है.  भारत  में बच्चियों के साथ दरिंदीगी की ऐसी मिसालें  शायद ही कहीं देखने को मिली हों.

आपराधिक चुप्पी

मुख्यमंत्री जी ये घटना आपके बिहार में हुई है. आपके उस बिहार में जिसके बारे में आप पिछले  एक दशक से लगातार कहते आये हैं कि बिहारी होना शर्म की बात नहीं बल्कि अब गर्व की बात है. क्या आप या हम इसी बिहार पर गर्व करना चाहिए. यह ठीक है कि आपने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. हालांकि आपने इस मामले की जांच पहले खुद अपनी पुलिस से करवाने का ऐलान, अपने डीजीपी से करवाया. आप अक्सर कठिन और चुनौतियों वाली स्थिति में खुद सामने नहीं आते, किसी अधिकारी को सामने कर देते हैं. आप चुप रहते हैं. इस मामले में भी पिछले दो पखवाड़े से, जब से इस मामले ने तूल पकड़ा है, आप चुप हैं. आपकी चुप्पी को तभी तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आपराधिक चुप्पी करार दिया है. मामले की सीबीआई से जांच कराने की खानपूर्ति कर देने से आपकी जिम्मेदारियां खत्म नहीं हो जाती मुख्यमंत्री जी!! बिहार की सत्ता की बागदोड़ आपके हाथों में है. आप सरकार के मुखिया हैं.  अभिभावक व गार्जियन हैं. राज्य के किसी भी संकट  में आपको अभिभावक की भूमिका में बिहार की जनता देखना चाहती हैं. आप अक्सर, क्राइम, क्रप्शन और कम्युनलिज्म से समझौता नहीं करने का दावा करते हैं. आप बिहार को सुशासन वाला राज्य कहके गर्वानित होने का अहम पालते हैं. कृप्या बतायें कि आपका जमीर यह स्वीकार करता है कि, यह सुशासन है ?

 

पहले आपके प्रशासन ने, बिहार के बड़े मीडिया हाउसेज ने  इस मामले को दबाने की कोशिश की. लेकिन विपक्ष के ताबड़तोड़ हमले और विधानसभा में इस मामले को गंभीरता से उठाने के बाद ही यह मामला हाइलाइट हो सका. फिर भी आप चुप रहे. सीबाई को अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने दीजिए, यह एक बात है, लेकन एक अभिभावक के रूप में आपकी जिम्मेदारी है कि देश को और राज्य की करो़ड़ों जनता के सामने इस मामले पर आप अपना मंतव्य रखें. आप उन बच्चियों को संतावना दें. उन बच्चियों से मिलें. फिर बिहार की जनता के सामने आ कर इस मामले पर कुछ बोलें. नहीं कुछ तो कम से कम आप इस जघन्य अपराध पर दुख जतायें. कहें कि यह घटना शर्मनाक है. दुखद है. यह भी कहें कि आइंदा ऐसे अपराध न हो, इसके लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी. लेकिन मुख्यमंत्री जी आप तो एक दम चप हैं.  जब कोई जिम्मेदार व्यक्ति, समय पर नहीं बोलता तो उसकी चुप्पी पर शक किया जाने लगता है. उस पर संदेह किया जाने लगता है. बिहार के ग्यारह करोड़ अवाम आप पर और शक न करे, उससे पहले आप कुछ बोलें हम सब यही चाहते हैं.

मुख्यमंत्रीजी हम सब मानते हैं कि आपमें मानवीय संवेदनायें हैं. आप अपने जमीर की आवाज को, अपनी आत्मा की आवाज को मत दबायें. अपने होठ खोलें. कुछ बोलें. कुछ बोलें ताकि आपकी चुप्पी को लोग आपराधिक चुप्पी न समझ लें.

आपका

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

 

 

By Editor


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