बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार पार्टी में कोई पदाधिकारी नहीं हैं, लेकिन पार्टी दफ्तर तथा आस-पास के इलाके में उनके पोस्टर भर गए हैं। उन्हें राजनीति में आने के लिए धन्यवाद देते पोस्टर जदयू के अलग-अलग नेताओं ने लगाए हैं। जदयू के जो नेता कल तक तेजस्वी यादव के राजनीति में आने को परिवारवाद बता रहे थे, वे अब निशांत कुमार के राजनीति में आने को बिहार की जरूरत बता रहे हैं। अब देखना है कि जो प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव पर हमला करते रहे हैं वे अब नीतीश कुमार के बेटे पर क्या कहते हैं। पिलहाल उन्होंने चुप्पी साधी है। भाजपा नेता भी खामोश हैं।
पहले से ही इस बात के संकेत थे कि नीतीश कुमार के बेटे राजनीति में आएंगे। इस बार होली में वे जिस प्रकार नेताओं से मिले, उनके साथ होली खोली और उसके बाद एक रात में विधायक फ्लैट का इलाका जिस प्रकार उनके पोस्टरों से भर गया, उसके बाद यह तय हो गया कि वे राजनीति में आएंगे। वे मार्च में ही या अप्रैल में पार्टी ज्वाइन करेंगे।
पिछले हफ्ते नीतीश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर कहा था कि इनका क्या, इनके पति जेल गए, तो इन्हें बना दिया। अब यही बात निशांत कुमार के लिए कही जा रही है कि जब नीतीश कुमार शासन चलाने में अक्षम हो रहे हैं, तो पार्टी की कमान बेटे को दे रहे हैं। क्या ये परिवारवाद नहीं है।
इस बीच एक तस्वीर वायरल है, जिसमें निशांत कुमार अपने से 20 वर्ष अधिक उम्र के नेताओं की गर्दन और कंधे पर बांह पसारे दिख रहे हैं। तस्वीर में कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और वरिष्ठ मंत्री विजय कुमार चौधरी दिख रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि अगर तेजस्वी यादव इस तरह जगदानंद सिंह जैसे नेता के कंधे पर बांह पसारे दिख जाएं, तो तुरत लोग संस्कृति का पाठ पढ़ाने लगेंगे।