इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम

जब कल #नीतीशकुमार अटल बिहारी वाजपेयी के नाम के कसीदे पढ़ रहे थे, बता रहे थे कि उन्होंने मुझे कितना स्नेह दिया, मुझे सीएम बनाया. वह, अपना संदेश मोजूदा भाजपा नेतृत्व को दे रहे थे. ठीक उसी वक्त. नीतीश की आबरू खाक में मिलाने का खेल चल रहा था.

मामला प्रशांत किशोर का था. उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया. आरती उपाध्याय की अदालत ने सशर्त जमानत दी. कहा कि लिख कर दो कि अब गैर कानूनी तरीके से और बिना अनुमति प्राप्त किये अनशन नहीं करोगो. प्रशांत ने शर्त नहीं मानी और जेल चले गये.

कुछ घंटों में. शायद दो घंटे हुए हों. अदालत ने अपना आदेश बदल डाला. सशर्त जमानत के आदेश को बदलते हुए, बिना शर्त जमानत का आदेश जारी हुआ.

अब आप सोचिए कि प्रशांत किशोर के पीछे कितनी बड़ी ताकतें खड़ी हैं. ऐसी ताकत जो अदालत का फैसला बदल या बदलवा देती है.

नीतीश कुमार ने जिस गैरकानूनी, अनाधिकृत अनशन को खत्म करने के लिए पीके को गिरफ्तार करवाया, उन नीतीश कुमार की आबरू सरे आम नीलाम कर दी गयी. इस के पीछे कौन है, क्या अब भी बताने के लिए कुछ रह गया है ?

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जब में प्रशांत किशोर की ऐसी बेहाई पर लिखता हूं तो चंद लोग मुझ पर टूट पड़ते हैं. कहते हैं कि पीके से आप को चिढ़ क्यों है. मेरे भाई चिढ़ नहीं है. तथ्यों को रखता हूं.

पीके के लिए दिल्ली से पटना तक ही नहीं, जमीन से आसमान तक ताकतें खड़ीं हैं. वह करोड़ों उन पर लुटा रही हैं. अब तो अदालत का आदेश भी बदल रहा है.

इस संबंध में पूरा विडियो देखिए. और खेल को समझिये, वर्ना बहुत देर हो चुकी होगी. यह आदमी बिहार को बर्बाद करके रख देगा.

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