नीतीश की लक्ष्मण रेखा न लांघने का आमिर सुबहानी को मिला इनाम
आमिर सुबहानी को मुख्य सचिव बनाए जाने के पीछे कई लोग मुस्लिम एंगल बता रहे, असलियत यह है कि उन्हें नीतीश की लक्ष्मण रेखा न लांघने का मिला इनाम।
अब बिहार के नए मुख्य सचिव हैं वरिष्ठ आईएएस आमिर सुबहानी। उनकी इस पद पर नियुक्ति को कई अखबार और पत्रकार मुस्लिम एंगल दे रहे हैं। इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि वे पहले मुस्लिम मुख्य सचिव हैं। तथ्य के हिसाब से बिल्कुल ठीक है, लेकिन इससे मुस्लिम समुदाय को बहुत खुश होने की जरूरत नहीं, क्योंकि उन्हें मुख्य सचिव बनाए जाने की प्रमुख वजह मुस्लिम नहीं, वरन मुख्यमंत्री की नीतीश कुमार की लक्ष्मण रेखा को कभी ना लांघना है।
एक दौर था, जब आईएएस जिस संस्था के प्रमुख होते थे, उस संस्था की स्वायत्तता की रक्षा करते थे। अब आज का जमाना पीएमओ, सीएमओ का है। इन्हीं के पास सारी सत्ता केंद्रित होती है। हाल में चुनाव आयोग के अधिकारियों को पीएमओ ने तलब किया था, जिसकी काफी आलोचना भी हुई। विपक्ष ने इसे चुनाव आयोग जैसी संस्था की स्वायत्तता पर हमला बताया था।
आमिर सुबहानी की छवि कभी ऐसी नहीं रही, जिससे सत्ता को कोई परेशानी हो। आपको याद होगा छह साल पहले किशनगंज गोलीकांड। इसमें पिछड़े मुस्लिमों पर पुलिस ने गोली चलाई थी। यही नहीं, घायलों को तुरत अस्पताल पहुंचाने के बजाय उनके सीने को रौंदा गया था। अपने तरह की यह भयानक और विभत्स घटना थी। इस गोलीकांड के बाद बिहार सरकार ने जांच कमेटी बनाई, जिसके प्रमुख आमिर सुबहानी ही थे। उस जांच में क्या हुआ? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा के अनुसार पूरे मामले पर लीपापोती कर दी गई। तब आमिर सुबहानी की काफी आलोचना भी हुई थी। मुसलमानों ने उन्हें एहसान फरामोश तक कहा था। मुस्लिमों का मानना था कि नीतीश सरकार के दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए गलत रिपोर्ट तैयार की गई।
मुस्लिमों को यह भी समझना चाहिए कि आमिर सुबहानी फिर से सच्चर कमीशन की रिपोर्ट को जिंदा करने, उसकी सिफारिशों पर अमल करने की कोई मुहिम शुरू करने नहीं जा रहे। वे तो बस सत्ता की लक्ष्मण रेखा के भीतर ही रहेंगे। सत्ता की मर्जी को पूरा करने का औजार मात्र ही रहेंगे।
नीतीश की सियासत में आमिर{ सुबहानी} की इमारत