नीतीश बाबू का टावर बीएसएनएल की तरह है. गया तो गया, आ गया तो टनाटन काम करता है. अभी उनका टावर जबर्दस्त काम करता जा रहा है.नीतीश बाबू का टावर बीएसएनएल की तरह है. गया तो गया, आ गया तो टनाटन काम करता है. अभी उनका टावर जबर्दस्त काम करता जा रहा है.
नीतीश बाबू का टावर बीएसएनएल की तरह है. गया तो गया, आ गया तो टनाटन काम करता है. अभी उनका टावर जबर्दस्त काम करता जा रहा है.
सच पूछिए तो अभी नीतीश बाबू अपने टावर से उन ध्वनि तरंगों को भी कैच कर ले रहे हैं जो अमित शाह के मन मस्तिष्क के अंदर छिपे हैं. यही कारण है कि इस बिहारी चाणक्य के जाल में अमित भाई ऐसे फंस चुके हैं कि वह कराह भी नहीं पा रहे हैं.
नीतीश को करीब से जानने वाले जानते हैं कि वह बैसाख की हवाओं की दुश्मनी का बदला लेते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कार्तिक तक इंतजार करना पड़े. अब कार्तिक आ चुका है और बिहारी चाणक्य को बीमार समझ कर मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने पर चुप्पी साधने वाले अमित शाह को नीतीश ने अल्टिमेटम पहुंचवा दिया है कि अगले 48 घंटे में एनडीए के सीएम चेहरा की घोषणा करें.
बिहारी चाणक्य ने यह नहीं कहा है कि मुझे सीएम फेस घोषित करो. लेकिन उनके अल्टिमेटम ने अमित शाह को ऐसा फंसा दिया है कि वह न तो निगल पा रहे हैं और न ही उगल पा रहे हैं.
अब अमित शाह, नीतीश के अल्टीमेटम के आगे विकल्पहीन हैं. अगर वह भाजपा के किसी नेता को सीएम फेस घोषित करते हैं तो उन्हें पता है कि ‘बड़ा खेल’ हो जायेगा. और अगर चुप्पी साधते हैं तो यह और खतरनाक होगा.
ऐसे में अमित भाई को तय करना है कि “अबकी बार एनडीए सरकार” का राग अलापना छोड़ कर “फिर से नीतीश” का नारा लगाते हैं, या झटके में एनडीए का अंत चाहते हैं.
यह अमित भाई को तय करना है.

By Editor