नीतीश की आंखों ने कैसे मचाया दिया सियासी तूफान
नेताओं के बोल से तूफान मचते तो आपने देखा होगा. पर इस बार जो सियासी तूफान मचा है उसकी वजह नीतीश कुमार की आंखें हैं. आखिर उन आंखों ने क्या गुल खिला दिया ?
आम तौर पर आंखों की भाषा का संबंध प्रेम से होता है.या फिर आंखों से नफरत का इजहार भी होता है. साथ ही यह भी कहा जाता है कि आपकी आंखें आपके व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करती हैं. लेकिन इस बार नीतीश कुमार की आंखों ने जो सियासी तूफान खड़ा किया है उसका संबंध न तो प्रेम से है, न नफरत से और न ही व्यक्तित्व से.
इस बार नीतीश कुमार की आंखों ने जो वावेला मचाया है. वह नीतीश कुमार की बीमार आंखों के कारण हुआ. नीतीश कुमार दिल्ली जा चुके हैं. उन्हें पीएम मोदी से मिलना है. गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करनी है. उधर केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार होना है. लिहाजा अटकलें हैं कि अपने दल के दो नेताओं और चिराग पासवान से अलग हुए उनके चाचा पशुपति पारस को मंत्री बनवाने का प्रयास नीतीश कुमार करेंगे. लेकिन जदयू के शीर्ष नेता, नीतीश की दिल्ली यात्रा मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़ने से परहेज कर रहे हैं. क्योंकि यह मोदी पर निर्भर करता है कि वह किसे मंत्रिमंडल में शामलि करते हैं. इस परहेज की दूसरी वजह यह भी है कि पिछली बार जदयू के आरसीपी सिंह मंत्रिमंडल में शामिल होते-होते रह गये थे. इसली पार्टी की फजीहत हो गयी थी. ऐसे में कुछ नेताओं ने बयान दे दिया कि नीतीश कुमार अपनी आंखों के इलाज के लिए दिल्ली गये हैं. लेकिन उन नेताओं को यह एहसास तक न हुआ कि ऐसा कहने से खुद नीतीश कुमार और उनकी सरकार बवंडर में फंस जायेगी.
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आंखों के इलाज के लिए दिल्ली जाने का बयान क्या आया कि विपक्ष ने सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया कि 16 साल से नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री हैं और अब तक उन्होंने एक ऐसा अस्पताल नहीं बनवाया जहां उनका इलाज हो सके.
कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने ट्वीट किया 16 साल से बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बैठें हैं @NitishKumar लेकिन आज अपनी आंख का चेकअप कराने उन्हें दिल्ली जाना पड़ा!! बिहार के स्वास्थ्य सेवा पर यह बड़ा सवाल खड़ा करता है। जवाब दें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय. @mangalpandeybjp .
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वहीं इस मुद्दे पर युवा रजद ने बड़ा कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया. लिखा CM @NitishKumar को अपनी आँखों का इलाज 16 वर्षों पहले ही करवा लेना चाहिए था! 16 वर्षों से इन्हें दूर की कौड़ी ‘सुशासन’ भी साक्षात दिख रहा था! कोरोना से कुल मृत्यु भी इन्हें 50 गुणा कम ही दिखा! प्रार्थना है- दिग्भ्रमित आत्ममुग्ध आँखों के साथ अक्ल पर पड़े पत्थर का भी इलाज हो पाए!
विपक्ष का यह सवाल पूछना मौजू है कि क्या राज्य में इतना बेहतर अस्पताल भी नहीं जहां नीतीश अपनी आंखों का इलाज करा सकें. या अगर आंखों के अस्पतला हैं भी तो क्या नीतीश कुमार को अपने राज्य के डॉक्टरों पर भरोसा नहीं है ?