मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाईटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में अपनी पार्टी की सांकेतिक भागीदारी अस्वीकार करने के बाद आज दो टूक शब्दों में कह दिया कि वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू की भागीदारी को लेकर कभी भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक में नहीं जाएंगे।
श्री कुमार ने मोदी मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने बाद आज पटना लौटने पर पत्रकारों से बातचीत में कहा, “केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने के लिए हमने कभी कोई प्रस्ताव नहीं दिया। मंत्रिमंडल में सांकेतिक रूप से शामिल होने के मसले पर हमारी पार्टी की कोर टीम में शामिल नेताओं ने कहा कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।” उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू की भागीदारी को लेकर कभी भी राजग की बैठक में नहीं जाउंगा और न कभी भागीदारी की बात करुंगा।
जदयू अध्यक्ष ने कहा कि बिहार के हित को ध्यान में रखते हुए उन्होंने गठबंधन किया था ताकि बिहार का पिछड़ेपन समाप्त हो सके। हालांकि उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में उनकी पार्टी की भागीदारी नहीं होने से उन्हें कोई चिंता, परेशानी या अफसोस नहीं है।
कुमार ने तल्ख अंदाज में कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते मैं यह कहना चाहता हूं कि भविष्य में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के शामिल होने का कोई प्रश्न नहीं है। गठबंधन में शुरुआत में जो बातें होती हैं, वही आखिरी होती है। मंत्रिमंडल में घटक दलों का आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व होना चाहिए। हालांकि भारतीय जनता पार्टी को स्वयं पूर्ण बहुमत मिला है इसलिए उसे निर्णय लेने के हक हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिपरिषद में आनुपातिक या सांकेतिक रूप से घटक दलों की भागीदारी हो, इसका निर्णय भाजपा को करना था। बिहार में जो चुनावी कैंपेन किये गये, उसमें सबलोगों ने एक-दूसरे का साथ दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में सांकेतिक रूप से भागीदारी को लेकर हमलोगों की कोई इच्छा नहीं है। श्री कुमार ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल में सामाजिक समीकरण के सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इनकार करते हुए कहा कि यह उनका अंदरूनी मसला है।