नीति आयोग की बैठक का देश के छह मुख्यमंत्रियों ने बहिष्कार किया। इंडिया गठबंधन की अकेली प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुईं ममता बनर्जी का माइक बंद कर दिया गया। किसी मुख्यमंत्री का माइक बंद करना बड़ी बात है। इससे नाराज ममता बनर्जी ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। बाहर आकर उन्होंने बड़ी मांग कर दी। कहा नीति आयोग को भंग किया जाए। फिर से पुराना योजना आयोग बनाया जाए। योजना आयोग बनाने के पीछे सुभाष चंद्र बोस की सोच थी। इधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नीति आयोग की बैठक से दूर ही रहे। बैठक में उनके शामिल नहीं होने से राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि बिहार के विशेष पैकेज के नाम पर जो कुछ देने की घोषणा की गई, उससे नीतीश कुमार संतुष्ट नहीं हैं।
ममता बनर्जी ने कहा कि वे बोल रही थीं, अभी पांच मिनट भी नहीं बोला था कि उनका माइक बंद कर दिया गया। उनसे कहा गया कि आप सिर्फ बंगाल पर बोलिए। ममता ने कहा कि वे इंडिया गठबंधन तथा विपक्षी दलों के सासन वाले राज्यों की समस्या रखना चाहती थीं, लेकिन उन्हें बोलने से रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग को जेबी संस्था बना दिया गया है। यह देश के संघीय ढांचे के अनुरूप नहीं रह गया है। यहां राज्यों की समस्या नहीं सुनी जा रही है। इस बीच राजद के सांसद मनोज झा ने कहा कि प्रधानमंत्री बोलते बहुत हैं और सुनते किसी की नहीं हैं।
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इंडिया गठबंधन में शामिल दलों ने ममता बनर्जी का समर्थन किया है। कांग्रेस ने कहा कि नीति आयोग में पहले से एजेंडा तय कर दिया गया। राज्यों से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया। राज्य अपनी समस्या नहीं रख सकते। इस तरह नीति आयोग का औचित्य ही नहीं बचा है। नीति आयोग में ममता बनर्जी के साथ जो हुआ, उससे इंडिया गठबंधन के दलों में एकजुटता और बढ़ गई है।