इर्शादुल हक, संपादक, नौकरशाही डॉट कॉम
नीतीश कुमार ने अपने करियर में इतनी पलटी मारी है कि उन पर किसी का भरोसा नहीं कि वे कब क्या कर दें. न तो जनता को भरोसा है न नेताओं को. कम अज कम मोदी और शाह को तो उन पर कत्तई भरोसा नहीं.
यही कारण है कि मोदी कम से कम दिल्ली की हुकूमत बचाने के लिए पूरा ध्यान लगा चुके हैं. अगर नीतीश पलट भी गये तो बिहार की सरकार जाये तो जाये, दिल्ली न हिले.
लिहाजा मोदी ने अपनी पूरी ऊर्जा चंद्रा बाबू नायडू पर लगा रखी है. दो दिन पहले वह दो लाख आठ हजार करोड़ का पैकेज ले कर विशाखापतनम पहुंच गये. कोस्टल रेलवे जोन से ले कर अलग अलग इंफ्रस्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट पर धन की वर्षा कर दी. इसके अलावा अमरावती प्रोजेक्ट के लिए पचास हजार अलग से. बम बम चंद्रा बाबू ने कह दिया कि सात महीने में राज्य को चार लाख करोड़ का निवेश मिल चुका है.
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इधर नीतीश की संजय-ललन की लॉबी कुछ हजार करोड़ ले कर अपनी पीठ थपथपा रही है. दर असल बिहार को मोदी ठेंगा दिखा रहे हैं.
नीतीश यह सब समझ रहे हैं कि वह कितना भी मोदी के पैर पकड़ लें वे भरोसा नहीं कर रहे हैं.
अब बजट आने को है. जाहिर है बिहार को आंध्रा जितना तो नहीं मिलने वाला.
ऐसे में नीतीश की सफाई का जब कोई असर ही मोदी पर नहीं हो रहा है तो काहे का वह मोदी की पालकी ठोयें. ऐसे में कुछ हो जायेगा. इसकी संभावना अभी भी खत्म नहीं हुई है. पलटमारी हो भी सकती है.
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